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एक जिले में 32 हजार लोगों को एक साथ खाली करना पड़ेगा जमीन, अवैध तरीके से कब्ज़ा कर वर्षों से रह रहे हैं...

32,000 people will have to vacate their land

पूर्वी चंपारण: बिहार में नई सरकार के गठन के बाद अवैध अतिक्रमण के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में सरकारी और गैर सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण के विरुद्ध प्रशासन लगातार बुलडोजर चला रहा है। इसी कड़ी में बिहार में एक साथ 32 हजार 700 लोगों को जमीन खाली करने का निर्देश दिया गया है। बताया जा रहा है कि ये सभी लोग वर्षों से अवैध तरीके से जमीन अतिक्रमण कर रह रहे थे और अब सरकार इन जमीनों को खाली करवाने की कवायद शुरू कर दी है।

यह जमीन है बेतिया राज की जमीन पर जिस पर अब सरकार ने कब्ज़ा करने की मुहिम तेज कर दी है। बेतिया राज की जमीन को खाली करने के लिए जिला प्रशासन ने एक साथ 32 हजार 700 लोगों को नोटिस जारी किया है साथ ही जिले के वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया है। इस लिस्ट में छोटे छोटे प्लाट और मुहल्लों का भी नाम लिखा गया है। लिस्ट में जमीन का खाता, खेसरा और रकबा भी लिखा गया है।

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बता दें कि बेतिया राज की जमीन का सरकार ने एजेंसी के माध्यम से सर्वे करवाया और फिर उसे सरकारी जमीन घोषित कर दिया। जमीन के सर्वे के बाद सरकार ने पहली बार सूची जारी की है। बता दें कि बेतिया राज की जमीन पर लोगों ने लंबे समय से कब्जा कर घर मकान बना लिया है और उसमें रह रहे थे जिसे खाली करवाने की मुहिम अब सरकार ने तेज कर दी है। सरकार के द्वारा सूची जारी किये जाने के बाद अब लोगों में भय का माहौल हो गया है। बता दें कि इन जमीनों को खाली करने के लिए जिला प्रशासन ने वर्ष 2015 में लोगों को जमीन खाली करने का नोटिस जारी किया था लेकिन उस वक्त लोगों को किसी तरह से परेशान नहीं किया गया और न ही किसी तरह की कार्रवाई की गई थी। 

मामले में अपर समाहर्ता मुकेश सिन्हा ने कहा कि बेतिया राज की जमीन बिहार सरकार की जमीन घोषित की गयी है, अब रैयतों को यह जमीन खाली करना होगा। बॉर्ड ऑफ रेवेन्यू के निर्देशानुसार उक्त लोगों की सूची जारी की गयी है, जो बेतिया राज की जमीन पर कब्जा किए हुए है। फिलहाल सूची जारी किया गया है और अगले निर्देश तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है लेकिन उक्त जमीन को खाली करना होगा। बता दें कि बेतिया राज की जमीन चंपारण के अंतिम राजा के संदेहास्पद मौत के बाद कोर्ट आफ वार्डस में चली गयी थी। पिछले साल ही बिहार सरकार ने कानून में बदलाव करके कोर्ट आफ वार्डस को खत्म कर पूरी जमींदारी का अधिग्रहण किया था।

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