बिहार के पुलिसकर्मी के परिवार के लिए बड़ा एलान, गृह मंत्री सम्राट चौधरी की घोषणा से...
पुलिसकर्मियों के बच्चों की पढ़ाई और सुविधा को लेकर सरकार का बड़ा कदम, ट्रांसफर की चिंता होगी खत्म।
पटना: ड्यूटी का लंबा समय, लगातार तबादले और हर पल जोखिम—पुलिसकर्मियों की जिंदगी चुनौतियों से भरी होती है। इन सबके बीच सबसे बड़ी चिंता रहती है बच्चों की पढ़ाई और परिवार की बुनियादी सुविधाएं। अब बिहार सरकार ने इस चिंता को दूर करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। राज्य की सभी 40 पुलिस लाइनों में जल्द ही आवासीय विद्यालय खोले जाएंगे। ताकि पुलिसकर्मियों के बच्चों को बेहतर और निरंतर शिक्षा मिल सके। इस ऐलान के साथ ही पुलिस लाइन की तस्वीर अब सिर्फ तैनाती स्थल की नहीं, बल्कि शिक्षा और सुविधा के केंद्र की बनने जा रही है। यह घोषणा उप-मुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने पुलिस मुख्यालय स्थित सरदार पटेल भवन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान की। मौके पर उन्होंने कहा कि ट्रांसफर के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए पुलिस लाइन में ही आवासीय स्कूल की व्यवस्था की जा रही है। इससे पुलिसकर्मी निश्चिंत होकर अपनी जिम्मेदारी निभा सकेंगे।
कार्यक्रम के दौरान बिहार पुलिस सैलरी पैकेज के तहत सेवा के दौरान दिवंगत हुए 36 पुलिसकर्मियों के परिजनों के बीच करीब 25 करोड़ रुपये की बीमा राशि का वितरण भी किया गया। यह चेक उप-मुख्यमंत्री, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी और डीजीपी विनय कुमार ने संयुक्त रूप से सौंपे। गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पुलिसकर्मियों की ड्यूटी तय समय से कहीं अधिक होती है और प्रदेश की सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी उनके कंधों पर रहती है। इसलिए सरकार आवासन, भोजन और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दे रही है। इसी कड़ी में उन्होंने एक और अहम घोषणा करते हुए बताया कि 30 जनवरी से पहले पटना पुलिस लाइन की तर्ज पर राज्य की सभी 39 अन्य पुलिस लाइनों में ‘जीविका दीदी की रसोई’ शुरू कर दी जाएगी। इसका उद्देश्य पुलिसकर्मियों को स्वच्छ, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराना है।
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स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भी सरकार गंभीर है। गृह मंत्री ने कहा कि मेडिकल इलाज के लिए मिलने वाली बीमा राशि को पूरी तरह कैशलेस करने पर विचार चल रहा है। आंकड़े बताते हैं कि जिन 36 पुलिसकर्मियों के परिजनों को बीमा राशि दी गई, उनमें से 24 की मौत बीमारी के कारण हुई थी। ऐसे में बेहतर और त्वरित इलाज की व्यवस्था बेहद जरूरी है। डीजीपी विनय कुमार ने बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ चल रही विशेष बीमा योजना के तहत अब तक 90 पुलिसकर्मियों को 43 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी जा चुकी है। 30 मामले अभी प्रक्रियाधीन हैं, जिन्हें जल्द निपटाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस योजना के तहत आत्महत्या के मामलों में भी 20 लाख रुपये तक की बीमा राशि का प्रावधान है।
कार्यक्रम के दौरान पुलिसकर्मियों की सुविधा के लिए दो टोल-फ्री नंबर भी जारी किए गए। इन नंबरों के जरिए बीमा से जुड़ी सभी जानकारी—दस्तावेज, पात्रता और आवेदन प्रक्रिया—सीधे फोन पर प्राप्त की जा सकेगी। इस कार्यक्रम के दौरान एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन, एडीजी (कल्याण) डॉ. कमल किशोर सिंह, गृह सचिव प्रणव कुमार, संतोष कुमार सिंह समेत अन्य मौजूद थे।
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