बिहार में सरकारी शिक्षकों की प्रमाण पत्र जांच, फर्जी पाए जाने पर नौकरी जाएगी
पटना: बिहार सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों में कार्यरत 72,287 शिक्षकों के जाति, आधार, आय, शैक्षिक योग्यता और अन्य प्रमाण पत्रों की जांच का आदेश दिया है। यह जांच निगरानी अन्वेषण ब्यूरो करेगा। जांच में फर्जी प्रमाण पत्र पाए जाने पर शिक्षक की नौकरी समाप्त कर दी जाएगी और अब तक दी गई सैलरी ब्याज सहित वसूली जाएगी। इसके साथ ही फर्जीवाड़े का मामला दर्ज किया जाएगा। जांच 2006 से 2015 के बीच नियुक्त शिक्षकों पर केंद्रित होगी। इसमें हाईस्कूल और इंटर की मार्कशीट, बीए, बीएड, बीटीसी, दिव्यांग प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र शामिल हैं। अब तक 53,894 शिक्षकों की हाईस्कूल और इंटर मार्कशीट संदिग्ध पाई गई हैं। शेष 18,393 शिक्षकों के अन्य प्रमाण पत्रों की जांच की जाएगी।
जांच में बिहार बोर्ड के 46,681 प्रमाण पत्र, संस्कृत बोर्ड के 1,763, मदरसा बोर्ड के 5,450, तिलका मांझी विवि, भागलपुर के 666 और मगध विवि, बोधगया के 4,924 प्रमाण पत्र शामिल हैं। नालंदा खुला विश्वविद्यालय, पटना के 114, पीयू के 383, वीर कुंवर सिंह विवि, आरा के 2,296 और ललित नारायण मिथिला विवि, दरभंगा के 2,934 प्रमाण पत्र भी जांच में हैं। इसके अलावा अन्य विश्वविद्यालयों के हजारों प्रमाण पत्र जांच में हैं। शिक्षा विभाग पहले भी 7 बार जांच कर चुका है, लेकिन सच्चाई सामने नहीं आई। अब निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के नेतृत्व में जांच होगी। सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों को सहयोग करने का निर्देश दिया गया है।
फर्जी प्रमाण पत्र के कारण पहले ही 40,000 से अधिक शिक्षक राज्यकर्मी बन चुके हैं। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने कहा कि राज्यकर्मी शिक्षक भी फर्जी पाए गए तो उनकी नौकरी समाप्त की जाएगी और सैलरी समेत अन्य लाभों की वसूली होगी। हाल के दिनों में नवादा, कटिहार और सारण में कई शिक्षकों के फर्जी प्रमाण पत्र पकड़े गए हैं। अगस्त से अक्टूबर तक 106 शिक्षकों पर FIR दर्ज की गई। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।