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'संघर्ष कभी दोस्ताना नहीं होता है', चिराग पासवान ने सोच रखा है सीमा सिंह की सीट पर अन्य विकल्प, कहा...

"Conflict is never friendly."

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की आज अंतिम तिथि है और अब तक महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर भी फैसला नहीं हो सका है। इन मुद्दों पर बात करते हुए केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि इस बार त्यौहार नहीं, त्योहारों का संगम है। एक तरफ आज हमलोग दिवाली मना रहे हैं तो दूसरी तरफ छठ महापर्व का इंतजार कर रहे हैं। साथ ही लोकतंत्र का महापर्व भी बिहार में चल रहा है जिसे लेकर राज्य के लोगों में काफी खुशी का माहौल है। हम NDA के नेताओं की दिवाली 14 नवंबर को होगी जब ऐतिहासिक जीत के बाद हमारी सरकार बनेगी।

महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर बात करते हुए केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि हम तो राजनीति विज्ञान के छात्र रहे हैं और आजतक हमने सिर्फ यही पढ़ा है कि कोई या तो सहयोगी हो सकते हैं या फिर विरोधी। एक दूसरे के विरुद्ध उम्मीदवार उतार कर या एक दूसरे के विरुद्ध बयानबाजी कर दोस्त होने का दावा नहीं कर सकते हैं और संघर्ष हमेशा दो विरोधियों के बीच होता है इसलिए दोस्ताना संघर्ष की बात ही गलत है। चिराग पासवान ने कहा कि हमें आश्चर्य होता है यह देख कर कि इतने बड़े गठबंधन में बिखराव है। अभी तक उन लोगों ने सीटों की संख्या पर भी निर्णय नहीं किया है। यह मानता हूं कि सीट के चयन में थोड़ी बहुत बातचीत या मतभेद हो सकती है लेकिन सीट की संख्या पर निर्णय नहीं लेना सही संकेत नहीं है।

चिराग पासवान ने कहा कि नेता समझ रहे हैं कि हम एक जगह एक दूसरे के विरुद्ध बयानबाजी कर रहे हैं तो दूसरे जगह पर ऐसा नहीं होगा, क्या यह संभव है? नेता सोचते हैं कि एसी में बैठ कर हेलीकॉप्टर में बैठ कर बाद में एकसाथ आ जाएंगे तो वह यह नहीं सोच रहे हैं कि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता एकसाथ कैसे आ जाएंगे। कई सीटें ऐसी हैं जहां हमलोगों के लिए मुश्किल खड़ा हो रहा था वहां भी उन्होंने हमें वाक् ओवर दे दिया है। गठबंधन में ऐसा नहीं होता है। कल तक आपलोग मेरे ऊपर आरोप लगा रहे थे कि ये नाराज हैं वह नाराज हैं लेकिन हमलोगों ने सबकुछ अच्छे से कर लिया और आज हम सब चुनाव प्रचार में उतर चुके हैं और महागठबंधन में अभी भी सिर फुटौव्वल ही चल रहा है। 

इस दौरान चिराग पासवान ने अपने एक उम्मीदवार का नामांकन रद्द होने के सवाल पर कहा कि हमलोग केंद्रीय और राज्य स्तर पर चुनाव आयोग से बात कर रहे हैं साथ ही कानूनी सहायता भी ले रहे हैं। एक छोटी सी मानवीय भूल के आधार पर नामांकन रद्द नहीं होना चाहिए। हमें उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा फिर भी अगर ऐसा कुछ होता है तो हमने उसका विकल्प सोच लिया है और यह मेरा दावा है कि कोई भी सीट NDA के लिए खाली नहीं जाएगा।

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