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अडानी रिश्वतखोरी मामले को लेकर कांग्रेस ने निकाला राजभवन मार्च

Congress on kendr sarkar

अमेरिका में अडानी के खिलाफ धोखाधड़ी एवं रिश्वतखोरी के मामले में गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी अडानी को गिरफ्तार नहीं किए जाने एवं मणिपुर में जारी हिंसा के खिलाफ बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा बुधवार को सदाकत आश्रम से राजभवन मार्च निकाला गया।बड़ी संख्या में स्थानीय पार्टी कार्यालय सदाकत आश्रम में पहुंचे कांग्रेस नेता तथा कार्यकर्ताओं ने जुलूस के रूप में सदाकत आश्रम से राजापुर, बोरिंग रोड होते हुए राजभवन की ओर प्रस्थान किया। इस दौरान स्थानीय प्रशासन ने कांग्रेस के इस राज भवन मार्च को बीच रास्ते में ही रोक दिया। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने केंद्र के मोदी सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की।सड़क पर बड़ी संख्या में कांग्रेसियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया।बाद में स्थानीय प्रशासन के द्वारा कांग्रेस के इस राजभवन में शामिल सात वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को राजभवन जाकर अपने ज्ञापन सौंपने की अनुमति प्रदान की।प्रदेश कांग्रेस के सात सदस्यीय शिष्टमंडल जिसमें पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी, पूर्व मंत्री कृपानाथ पाठक, वीणा शाही, नरेन्द्र कुमार, ब्रजेश पांडेय  ,निर्मल वर्मा, उमैर खान शामिल हैं, ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल के मौजूद न रहने की स्थिति में उनके प्रतिनिधि से मुलाकात कर उन्हें अडानी रिश्वतखोरी मामले को लेकर कांग्रेस की ओर से ज्ञापन सौंपा। कांग्रेस के शिष्टमंडल द्वारा सौंप गए ज्ञापन में पार्टी की ओर से मांग की गई की हाल ही में गौतम अडानी और उनके सहयोगियों पर अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा लगाए गए आरोपों ने भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और छल की कथित जालसाजी का पर्दाफाश किया है। इन आरोपों ने रिश्वतखोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और बाजार में हेरफेर के एक विचलित करने वाले पैटर्न को उजागर किया है, जो भारतीय व्यापार और वित्त की प्रतिष्ठा को धूमिल करती है।यह घटना भारत में कारपोरेट गवर्नेंस और नियामक निगरानी के संबंध में गंभीर चिंताएं उत्पन्न करती है। साथ ही घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के बीच विश्वास की हानि चिंताजनक है।पूंजी के संभावित पलायन से आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और समग्र विकास बाधित हो सकता है। इसके अलावा, सरकार द्वारा संसदीय चर्चाओं को जानबूझकर रोकना और इस मुद्दे पर मौन रहना जिम्मेदारी और जवाबदेही से बचने का एक चिंताजनक संकेत है।अतः इस मामले पर संयुक्त जांच समिति का गठन कर इसकी व्यापक जांच होनी आवश्यक है। मणिपुर के ताजा स्थिति पर सवाल करते हुए बिहार प्रदेश कांग्रेस ने अपने ज्ञापन में कहा है कि मणिपुर के आम नागरिक  निरंतर हिंसा, गोलीबारी, कर्फ्यू और व्यापक अराजकता के एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहें हैं।कई नागरिकों की जानें चली गई हैं, और मणिपुर के लोग एक अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं। संकट की गंभीरता के बावजूद, केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार इस स्थिति को नियंत्रित करने या इसे कम करने में पूरी तरह विफल रही है। हैरानी की बात यह है कि प्रधानमंत्री ने अभी तक मणिपुर का दौरा नहीं किया है, जबकि पूरी तरह से अयोग्य मुख्यमंत्री अब भी सत्ता में काबिज है, जिससे इस गंभीर स्थिति के प्रति उदासीनता का पता चलता है।लोकतंत्र में जवाबदेही और न्याय के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को फिर से पुष्ट करने के लिए आवश्यक है कि उपरोक्त दोनों विषयों पर केंद्र की सरकार उचित कदम उठाएं।राजभवन मार्च में प्रदेश कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी, पूर्व मंत्री कृपानाथ पाठक, नरेन्द्र कुमार, वीणा शाही, ब्रजेश पाण्डेय, निर्मल वर्मा, उमैर खान , विधायक प्रतिमा कुमारी दास, श्रीमतीज्योति, विजय शंकर दूबे, लाल बाबू लाल, ब्रजेश प्रसाद मुनन, राज कुमार राजन ,संजीव सिंह, आनन्द माधव, सहित सैकड़ों की संख्या में कांग्रेसजन शामिल थे।


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