आवास बना राजनीति का मुद्दा, राजद ने उठाया सवाल तो NDA नेता ने कहा 'हम तो....'
पटना: पिछले दिनों बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष, विधान परिषद की सदस्य राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड स्थित सरकारी आवास खाली करने के लिए भेजे गए नोटिस के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है। यह मुद्दा अब सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है। सत्तारूढ़ दल जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी लगातार यह सवाल उठा रहे हैं कि राबड़ी देवी अब तक आवास क्यों खाली नहीं कर रही हैं। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) भी बराबरी से पलटवार कर रहा है।
इसी क्रम में राजद ने एक बार फिर भवन निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखते हुए जदयू के दो सांसदों और एक पूर्व मुख्यमंत्री को निशाने पर लिया है। राजद की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि जदयू के राज्यसभा सांसद संजय झा और लोकसभा सांसद देवेश चंद्र ठाकुर जिस सरकारी आवास में रह रहे हैं, वह केंद्रीय पूल से आवंटित है। इसके अलावा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय संयोजक जीतन राम मांझी भी किस आधार पर केंद्रीय पूल के आवास में रह रहे हैं, यह भी सवालों के घेरे में है।
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पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव संपन्न हुआ था और अब 2025 समाप्ति की ओर है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि संबंधित सांसद अब तक इन आवासों में क्यों रह रहे हैं। राजद ने व्यंग्यात्मक लहजे में यह भी पूछा है कि क्या इन बंगलों में कोई तहखाना छिपा हुआ है। इसके साथ ही, जीतन राम मांझी के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद भी जिस आवास में वे रह रहे हैं, उस पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। क्या यह आवास उनकी बहू के नाम पर आवंटित है, या उन्हें इसके लिए कोई विशेष अधिकार प्राप्त है—राजद ने यह प्रश्न भी उठाया है। पत्र के अंत में यह कहावत जोड़ी गई है कि “जिनके घर शीशे के होते हैं, वे दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते।”
वहीं दूसरी ओर, जनता दल (यूनाइटेड) के सीतामढ़ी से सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने राजद के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि नियमों के तहत निर्धारित किराया और स्टाफ का शुल्क जमा करके सरकारी आवास में रहने का प्रावधान है, और वे सभी भुगतान नियमानुसार कर रहे हैं। देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि जिस दिन सरकार की ओर से यह आदेश मिलेगा कि आवास खाली करना है या उसका आवंटन किसी अन्य को कर दिया गया है, वे बिना एक क्षण की देरी किए मकान खाली कर देंगे। उन्होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया पूरी तरह वैध है और बढ़ी हुई दरों के अनुसार सभी भुगतान सरकार को किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं और इस मामले में वे कानूनी नोटिस भेजने पर विचार कर रहे हैं।
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