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बगैर निबंधन के बांटा कर्ज और की मनमानी वसूली तो खैर नहीं, DGP ने सभी जिलों के SP को पत्र लिख कहा...

If loans are distributed without registration and recovered

पटना: राज्य में अक्सर ऐसी खबरें आती है कि कर्ज में अधिक ब्याज लगने की वजह से परेशान हो कर किसी ने अपनी जान दे दी। अब इस तरह के कर्जदारों की बिहार में खैर नहीं होगी। बिहार पुलिस चुन चुन कर अधिक ब्याज पर कर्ज देने वाले लोगों को खोज कर उनके विरुद्ध कार्रवाई करेगी। इस संबंध में डीजीपी विनय कुमार ने सभी जिले के एसपी को विशेष निर्देश जारी कर दिया है। बता दें कि इस मामले में उप मुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने भी बिहार पुलिस को कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

मामले को लेकर डीजीपी  विनय कुमार ने कहा कि अब वैसी सभी छोटी कंपनियां या लोग जो बगैर सरकार के अनुमति के मनमाने ढंग से ब्याज वसूलने का काम करते हैं उन्हें फलने फूलने नहीं दिया जायेगा और सभी के ऊपर रंगदारी का मामला दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। डीजीपी ने सभी जिले के एसपी को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि ऐसा सामने आया है कि राज्य में बहुत ही कम संख्या में माइक्रोफाइनेंस कंपनियां निबंधित हैं जबकि बहुत अधिक संख्या में छोटी कंपनियां मनमाने ब्याज दर पर रूपये कर्ज देती हैं और उसके बोझ तले गरीबों की जान जाती है। अब ऐसी सभी छोटी कंपनियों को गुंडा बैंक की श्रेणी में रखते हुए कड़ी कार्रवाई करना सुनिश्चित करें।

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डीजीपी ने बताया कि बीते दिनों मुजफ्फरपुर में तीन बेटियों के साथ जान देने वाले पिता के मामले में जब छानबीन की गई तो पता चला कि मुजफ्फरपुर में मात्र 20-22 कंपनियां ही निबंधित हैं जबकि कर्ज देने के लिए कई माइक्रो फाइनेंस कंपनियां और लोग काम कर रहे हैं और अपने मनमाने तरीके से वसूली भी करते हैं। राज्य में माइक्रो फाइनेंस इंस्टिट्यूट के लिए RBI की तरफ से नियम जारी किया गया है और सभी को उस नियम के अनुरूप ही काम करना होगा। सभी जिलों में गांव स्तर तक इस तरह के गुंडा बैंक का पता लगा कर उनके विरुद्ध रंगदारी का मामला दर्ज करते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी।

डीजीपी विनय कुमार ने कहा कि MFI माइक्रो फ़ाइनेंस इंस्टीट्यूट मामले में सीधी भूमिका नहीं है। MFI की संचालन की पूरी प्रक्रिया बनी हुई है किसी भी तरह का कर्ज देने वाली संस्था को पंजीकरण कराना अनिवार्य है। माइक्रो फाइनेंस कंपनियां भी इसके दायरे में आती हैं और इसका निबंधन जिला स्तर पर होता है। SDO रैंक या सीनियर डिप्टी कलेक्टर को पंजीयन करना होता है, यदि निबंधन नहीं हैं तो ऐसी कंपनियां अवैध हैं। इसके बाद प्रखंड स्तर पर BDO या CO सर्किल आफिसर की जिम्मेदारी होती है कि वह क्षेत्र में भ्रमणशील कर यह पता लगाएं कि कौन कौन सी कंपनियां कर्ज दे रही हैं, इनमें कितने वैध हैं या अवैध। इसके बाद कर्ज बांटने वाली अवैध कंपनियों पर कार्रवाई करने के लिए पुलिस को रिपोर्ट देनी होती है इसके बाद पुलिस कार्रवाई करती है। 

गौरतलब है की पिछले सप्ताह ही गृहमंत्री सम्राट चौधरी ने भी समीक्षा बैठक में अधिक सूद पर कर्ज देने वाले गुंडा बैंकों पर सख्त कार्रवाई का निर्देश पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों को दिया था जिसके बाद पुलिस महकमा इस अवैध MFI माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट के खिलाफ एक विशेष मुहिम की शुरुआत कर दी है इसके लिए बाज़ापता एक नया ड्राफ्ट बनाया है और अब उसी के तहत ऐसे सभी गुंडा बैंक के संचालकों के विरुद्ध कड़े कानूनी कारवाई करने जा रही है।

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पटना से चंदन तिवारी की रिपोर्ट


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