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सुबह आसमान पर, दोपहर में जमीन पर… चांदी में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट

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29 दिसंबर को चांदी के बाजार में ऐसा उतार-चढ़ाव देखने को मिला, जो पहले कभी नहीं देखा गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर मार्च डिलीवरी वाली चांदी की कीमत सिर्फ एक घंटे में 21,000 रुपये गिर गई। चांदी का भाव 2 लाख 54 हजार रुपये प्रति किलो के रिकॉर्ड स्तर से फिसलकर 2 लाख 33 हजार 120 रुपये प्रति किलो पर आ गया। यह पहली बार है जब एक कारोबारी दिन में चांदी में इतनी बड़ी गिरावट दर्ज की गई। दरअसल, इसी दिन चांदी ने पहले ऐतिहासिक तेजी दिखाई थी। MCX पर चांदी का भाव 2 लाख 54 हजार 174 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया था। यानी एक ही दिन में चांदी ने चढ़ने और गिरने, दोनों के रिकॉर्ड बना दिए।

इंटरनेशनल मार्केट से जुड़ा है कारण

भारत में चांदी के दाम गिरने की सबसे बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार है। ग्लोबल मार्केट में चांदी की कीमत 75 डॉलर प्रति औंस से नीचे आ गई। इससे पहले पहली बार चांदी 80 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंची थी। जैसे ही इंटरनेशनल मार्केट में गिरावट आई, उसका सीधा असर MCX और घरेलू सर्राफा बाजार पर पड़ा।

प्रॉफिट बुकिंग और जियो-पॉलिटिकल फैक्टर

बाजार जानकारों का कहना है कि चांदी में आई भारी गिरावट के पीछे प्रॉफिट बुकिंग भी बड़ी वजह है। दुबई के एमिरेट्स इन्वेस्टमेंट बैंक के डायरेक्टर डॉक्टर धर्मेश भाटिया के मुताबिक, निवेशकों को लग रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध जल्द खत्म हो सकता है। युद्ध खत्म होने की संभावना से जियो-पॉलिटिकल तनाव कम होगा और चांदी जैसे सुरक्षित निवेश की मांग घट सकती है। इसी सोच के चलते निवेशकों ने मुनाफा निकालना शुरू कर दिया। गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच बातचीत की खबरें सामने आई हैं। ट्रंप ने बयान दिया है कि रूस और यूक्रेन युद्ध खत्म करने के समझौते के काफी करीब हैं।

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मार्जिन बढ़ने से बढ़ा दबाव

मार्केट एक्सपर्ट अनुज गुप्ता के अनुसार, इंटरनेशनल एक्सचेंज CME (शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज) ने सिल्वर फ्यूचर्स पर शुरुआती मार्जिन बढ़ा दिया है। मार्च 2026 सिल्वर फ्यूचर्स के लिए मार्जिन 20,000 डॉलर से बढ़ाकर 25,000 डॉलर कर दिया गया। मार्जिन बढ़ने से ट्रेडर्स पर दबाव बढ़ा और बिकवाली तेज हो गई।

आगे क्या रहेगा रुख?

हालांकि जानकारों का मानना है कि लंबी अवधि में चांदी की स्थिति मजबूत रह सकती है। सप्लाई में कमी और औद्योगिक मांग बढ़ने से आगे फिर से तेजी देखने को मिल सकती है। लेकिन फिलहाल बाजार में भारी उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।


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