कम कीमत, कमाल के फायदे: क्यों हर बिहारी की थाली में होनी चाहिए तीसी
बिहार में अलसी को तीसी के नाम से जाना जाता है। यह छोटा सा बीज भले ही आकार में मामूली हो, लेकिन इसके स्वास्थ्य लाभ बेहद बड़े हैं। सदियों से बिहार के घरों में तीसी का इस्तेमाल सेहत और स्वाद दोनों के लिए किया जाता रहा है। आधुनिक समय में भी डॉक्टर और पोषण विशेषज्ञ अलसी को एक नेचुरल सुपरफूड मानते हैं, जो कीमत में तो कम होते हैं , पर बड़े फायदेमंद होते है।
अलसी यानि तीसी के फायदे
अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड (ALA), फाइबर, प्रोटीन, विटामिन E और लिग्नान जैसे शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। ये पोषक तत्व शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं और कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, हार्ट पेशेंट के लिए अलसी बेहद लाभकारी है। इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने में सहायक होता है, जबकि ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने में भी मदद करता है। नियमित रूप से अलसी का सेवन करने से हृदय रोगों का खतरा कम हो सकता है।
पाचन तंत्र (DIGESTIVE SYSTEM ) को भी दुरुस्त रखने में भी अलसी अहम भूमिका निभाती है। फाइबर से भरपूर होने के कारण यह कब्ज की समस्या से राहत देती है और पेट को साफ रखती है। यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों में इसे घरेलू इलाज के रूप में अपनाया जाता रहा है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में बढ़ता वजन और डायबिटीज भी बड़ी समस्या बन चुके हैं। ऐसे में अलसी एक आसान उपाय साबित हो सकती है। यह ब्लड शुगर को अचानक बढ़ने से रोकती है और पेट को लंबे समय तक भरा रखती है, जिससे ओवरईटिंग कम होती है और वजन नियंत्रित रहता है।
इसके अलावा, अलसी त्वचा को स्वस्थ और जवान बनाए रखने में भी मदद करती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं। कुछ शोध यह भी बताते हैं कि अलसी में पाए जाने वाले लिग्नान कुछ प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करने में सहायक हो सकते हैं।

तीसी का पीठा ( बिहारी रेसेपी )
बिहार की संस्कृति में तीसी सिर्फ सेहत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका गहरा सांस्कृतिक महत्व भी है। पूस की ठंड आते ही बिहार के लगभग हर घर में तीसी–गुड़ का पीठा बनता है। चावल के आटे से बने इस पीठे के अंदर तिसी और गुड़ की मीठी भरावन होती है, जिसकी खुशबू और स्वाद ठंड की सुबह को खास बना देता है। यह व्यंजन सिर्फ एक पकवान नहीं, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही बिहार की परंपरा का प्रतीक है। कम कीमत में आसानी से मिलने वाली अलसी यानी तीसी, सेहत और स्वाद दोनों का खजाना है। इसे भूनकर या पीसकर रोज़ाना 1–2 चम्मच अपनी डाइट में शामिल कर बिहार के लोग आज भी प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ रहने की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।