इंडिया गठबंधन के विधायकों ने दिया राज्यपाल को ज्ञापन

इंडिया गठबंधन के विधायकों के प्रतिनिधिमंडल सोमवार को महामहिम राज्यपाल से मिला और (बीपीएससी) की परीक्षा में हुई घोर अनियमितताओं, प्रक्रियात्मक व संस्थागत त्रुटियों और आंदोलनकारियों के प्रति प्रशासनिक दमन व मुकदमे के मुद्दे से संबंधित अपना ज्ञापन सौंपा।प्रतिनिधिमंडल में माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, राजद नेता व पूर्व मंत्री अलोक मेहता, कांग्रेस के राजेश राम सहित विधान पार्षद शशि यादव, संदीप सौरभ, राजद के भाई वीरेंद्र और सीपीआई व सीपीएम के नेता शामिल थे।मुलाकात के बाद महबूब आलम ने कहा कि राज्यपाल महोदय से वार्ता सकारात्मक रही। उन्होंने परीक्षा में हुई अनियमितताओं से जुड़े और भी सबूत की मांग की और कहा कि निश्चित रूप से यह गंभीर मसला है इसपर सरकार और बीपीएससी से बातचीत की जाएगी। महामहिम ने यह भी कहा कि उन्हें सूचना दी गई थी कि आंदोलन को कोचिंग संचालकों द्वारा चलाया जा रहा है, आज स्थिति कुछ स्पष्ट हुई है. निश्चित रूप से इस पर कारवाई की जाएगी।प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि केवल बापू सभागार परीक्षा केंद्र के 12,000 अभ्यर्थियों के लिए पुनर्परीक्षा आयोजित करना अन्य अभ्यर्थियों के साथ असमानता पैदा करेगा। एक परीक्षा का परिणाम दो प्रश्नपत्रों के आधार पर तय होना साफ तौर पर असंगत और अन्यायपूर्ण है।इसके परिणाम में समानता की कौन सी प्रक्रिया अपनाई जाएगी? क्या सरकार इसके लिए विवादास्पद हो चुके ‘नॉर्मलाइजेशन’ की प्रक्रिया लेने वाली है जो परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता को ही पूरी तरह समाप्त कर देगी? इसको लेकर अभ्यर्थियों के मन में कई किस्म के सवाल हैं और इस तरह बीपीएससी की 70 वीं पीटी की परीक्षा पूरी तरह विवादों में घिरी हुई है।
दिये गये में ज्ञापन बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा में हुई घोर अनियमितताओं, प्रक्रियात्मक व संस्थागत त्रुटियों और आंदोलनकारियों के प्रति प्रशासनिक दमन व मुकदमे के मुद्दे पर आपका ध्यान आकर्षित करता है। 13 दिसंबर 2024 को बीपीएससी पीटी में बापू सभागार परीक्षा केन्द्र पर हुई गड़बड़ियों और सोशल मीडिया के माध्यम से अन्य परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न पत्र लीक होने की घटना के बाद पूरी परीक्षा फिर से आयोजित करने की मांग को अनसुनी करके राज्य सरकार और बीपीएससी द्वारा पूरी धृष्टता के साथ केवल बापू सभागार केंद्र की रद्द परीक्षा को 4 जनवरी 2025 को आयोजित किया जाना अन्य लाखों अभ्यर्थियों के साथ घोर अन्याय है तथा उनकी न्यायपूर्ण मांगों के प्रति घोर असंवेदनशीलता का परिचायक है, जबकि अभ्यर्थी परीक्षा में हुई धांधली के सबूतों के साथ आंदोलन कर रहे थे। जनता की एक चुनी हुई सरकार ने अभ्यर्थियों की मांगों को तो नहीं ही सुना उलटे ठंड के मौसम में उनपर बेरहमी से लाठियां चलाई, वाटर कैनन का प्रयोग हुआ तथा अभ्यर्थियों सहित आंदोलन के समर्थन में पहुंचे नेताओं और अन्य लोगों पर तरह-तरह के फर्जी मुकदमे लाद दिए. दमन का पूरे देश में विरोध हुआ, उसकी निंदा हुई, बावजूद सरकार बाज नहीं आई।
महाशय, अब सवाल यह उठता है कि क्या केवल बापू सभागार परीक्षा केंद्र के 12,000 अभ्यर्थियों के लिए पुनर्परीक्षा आयोजित करना अन्य अभ्यर्थियों के साथ असमानता पैदा नहीं करेगा? एक परीक्षा का परिणाम दो प्रश्नपत्रों के आधार पर तय होना साफ तौर पर असंगत और अन्यायपूर्ण है. इसके परिणाम में समानता की कौन सी प्रक्रिया अपनाई जाएगी? क्या सरकार इसके लिए विवादास्पद हो चुके ‘नॉर्मलाइजेशन’ की प्रक्रिया लेने वाली है जो परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता को ही पूरी तरह समाप्त कर देगी? इसको लेकर अभ्यर्थियों के मन में कई किस्म के सवाल हैं और इस तरह बीपीएससी की 70 वीं पीटी की परीक्षा पूरी तरह विवादों में घिरी हुई है.
यह कोई पहली परीक्षा नहीं है जिसमें व्यापक स्तर पर अनियिमतताओं का मामला उजागर हुआ है, बल्कि बीपीएससी सहित अन्य संस्थानों द्वारा ली जाने वाली हाल की परीक्षाओं और सच कहा जाए तो पूरी परीक्षा प्रणाली घोर अनियमितताओं की गिरफ्त में है. शायद ही कोई परीक्षा समय पर ली जाती हो. प्रशासनिक संरक्षण में हाल के दिनों में परीक्षा माफियाओं का एक पूरा तंत्र विकसित हुआ है. इसी कारण, पेपर लीक बिहार में एक सामान्य परिघटना सी बन गई है. बिहार की शिक्षा में सुधार की तमाम बड़ी-बड़ी बातों व दावों की हकीकत यह है कि शायद ही किसी विश्वविद्यालय का सत्र नियमित हो. विश्वविद्यालयों में आधे से ज्यादा शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के पद खाली पड़े हुए हैं और वे भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं. स्कूली शिक्षा की हालत तो और भी खराब है. बिहार में जहां 2019 में स्कूल छोड़ने की दर पहले से ही चिंताजनक थी, 2024 में यह दर और भी बदतर हो गई है. उलटे सरकार ने सैकड़ो सरकारी स्कूलों को बंद या मर्जर कर देने का ऐलान किया है.
बीपीएससी सहित अन्य पेपर लीक के मामलों, परीक्षा में गड़बडियों जैसी संरचानात्मक-प्रक्रियात्मक विफलताओं और बीपीएससी अभ्यर्थियों पर बर्बर दमन के खिलाफ हम बिहार की शिक्षा व परीक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए आपसे निम्नलिखित 13 दिसंबर 2024 को आयोजित हुई बीपीएससी 70वीं पीटी परीक्षा सहित सभी पेपर लीक मामलों की निष्पक्ष जांच कराई जाए और परीक्षा माफिया तंत्र के खात्मे के लिए सख्त कानून बनाने, एक परीक्षा का परिणाम दो प्रश्नपत्रों के आधार पर कैसे जारी किया जाएगा, इसे स्पष्ट करने का निर्देश बीपीएससी को जारी करने, बीपीएससी अभ्यर्थियों पर बर्बर दमन ढाने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो, आंदोलनकारी छात्रों को रिहा किया जाए और आंदोलन के समर्थन में गए जनप्रतिनिधियों व अन्य समर्थक शिक्षक-छात्रों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने,मृतक अभ्यर्थी सोनू कुमार के परिजनों को उचित मुआवजा देने की मांग की है।