जलवायु लक्ष्यों की योजना बनाने में सटीक मददगार होगा ASCENT, किया गया पायलट परीक्षण
WRI इंडिया ने पायलट परीक्षण के लिए असेंट टूल लॉन्च किया है। यह भारतीय संदर्भ के अनुरूप एक डेटा-आधारित प्लेटफ़ॉर्म है जो शासकीय संस्थानों को विकास प्राथमिकताओं को संतुलित करते हुए न्यून-कार्बन रणनीति के मॉडल बनाने में सक्षम बनाता है।

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार को WRI India के वार्षिक प्रमुख कार्यक्रम कनेक्ट करो के दौरान ASCENT का पायलट परीक्षण किया गया। असेंट का मुख्य उद्देश्य राज्य सरकारों को अधिक सटीकता और दक्षता के साथ अपने जलवायु लक्ष्यों की योजना बनाने और उन्हें प्राप्त करने में मदद करना है। इसके साथी ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के सबसे प्रभावी तरीकों की पहचान करने में नीति निर्धारकों को मार्गदर्शन करना है। असेंट एक इंटरैक्टिव प्लेटफ़ॉर्म है जो भारतीय राज्यों के लिए डीकार्बोनाइज़ेशन परिदृश्यों के मॉडल बनाने हेतु सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा का उपयोग करता है।
यह नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और व्यापक जनता को एक ओपन-एक्सेस टूल के रूप में स्वतंत्र रूप से जुड़ने का विकल्प देता है। अन्य टूल के विपरीत इसे भारतीय संदर्भ के अनुरूप बनाया गया है, जो स्थानीय ईंधनों, इकाइयों और डेटा का उपयोग करके अत्यधिक प्रासंगिक और कार्यान्वयन योग्य परिणाम प्रदान करता है। WRI इंडिया की कार्यकारी निदेशक उल्का केलकर ने कहा कि हमें उम्मीद है कि यह ओपन-एक्सेस टूल भारतीय शहरों और गांवों के लिए नेट-ज़ीरो योजना को और सरल बनाएगा। हमें खुशी होगी अगर शासकीय अधिकारी, विशेषज्ञ एवं विद्यार्थी इस टूल का उपयोग कर इसे और अधिक सुदृढ़ बनाने में हमारा सहयोग करें।
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इस टूल को प्रत्येक राज्य के ऊर्जा मिश्रण, संसाधन उपलब्धता और विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप अनुकूलित किया जा सकता है। उपयोगकर्ता किसी राज्य का चयन कर सकते हैं तथा ऊर्जा, उद्योग या परिवहन में से अपनी रुचि अनुसार क्षेत्र चुन सकते हैं, और विभिन्न परिदृश्यों में उत्सर्जन अनुमानों में कैसे बदलाव आते हैं, यह देखने के लिए नीतिगत उपायों का मिश्रण लागू कर सकते हैं। परिणामों के अनुसार नीति-निर्माता विभिन्न उपायों की तुलना कर सकते हैं और उन रणनीतियों की पहचान कर सकते हैं जिनसे न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्सर्जन में कमी आती है।
असेंट उपयोगकर्ताओं को स्वास्थ्य सुधार, ऊर्जा बचत और रोज़गार सृजन जैसे सह-लाभों का आकलन करने का भी विकल्प देता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि निर्णय पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक दोनों परिणामों के आधार पर लिए जाएँ। इस टूल का उपयोग किसी भी स्तर पर किया जा सकता है, राज्यों और ज़िलों से लेकर शहरों और गाँवों तक जो इसे शहरी और ग्रामीण नियोजन दोनों के लिए उपयोगी बनाता है। यह उपयोगकर्ताओं को उन क्षेत्रों का मूल्यांकन करने में भी सक्षम बनाता है जो वर्तमान में छोटे हैं लेकिन जिनके तेज़ी से बढ़ने की उम्मीद है। उपयोगकर्ताओं से प्राप्त प्रतिक्रिया असेंट टूल को और बेहतर बनाने में मदद करेगी, जिससे यह पूरे भारत में जलवायु कार्यों में व्यावहारिक, प्रासंगिक और प्रभावी बना रहेगा।
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