बहन की शादी के चौथे दिन ही भाई ननद को लेकर हुआ फरार, जीजा ने दर्ज कराया मामला


Edited By : Darsh
Sunday, June 11, 2023 at 11:45:00 AM GMT+05:30बिहार के गांवों में आज भी शादी के बाद दुल्हन के साथ उसके भाई को विदा करने की परंपरा चली आ रही है। दुल्हन के साथ विदा होने वाले भाई को दहेजा कहा जाता है। बिहार के एक गांव में दहेजा के रूप में विदा हुए युवक ने बहन की शादी के चौथे दिन बड़ा कांड कर दिया। वह बहन की ननद यानी जीजा की बहन को लेकर फरार हो गया। यह मामला औरंगाबाद का है। औरंगाबाद के माली थाना के एक युवक के बहन की चार दिन पहले शादी हुई। दुल्हन की विदाई हुई तो उसका सगा भाई पुरानी परंपरा के अनुसार दहेजा के रूप में बहन के साथ उसके ससुराल देव थाना के एक गांव चला गया। परंपरा के अनुसार, ससुराल से मायके के लिए विदाई के साथ ही भाई को भी अपने घर आना था लेकिन चार दिन में उसने बड़ा कांड कर दिया। बहन की शादी के चौथे दिन जीजा की बहन को लेकर फरार-दुल्हन के साथ दहेजा बनकर आया उसका सगा छोटा भाई जीजा की सगी कुंवारी बहन यानी अपनी बहन के ननद को ही लेकर फरार हो गया। दोनों ही बालिग हैं।
कांड होते ही जीजा ने साले के खिलाफ अपनी बहन को अगवा करने का मामला दर्ज करा दिया है। देव थानाध्यक्ष मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि माली थाना क्षेत्र के एक गांव की लड़की की देव थाना के एक गांव के लड़के के साथ शादी हुई थी। शादी के बाद नवविवाहिता बहन के साथ उसका छोटा सगा भाई उसके ससुराल साथ में आया था। शादी के बाद दुल्हन के ससुराल आए अभी चार ही दिन हुए थे कि ठीक चौथे दिन ही युवक अपनी बहन की ननद को लेकर फरार हो गया। मामले का पता चलने पर परिजनों ने अपने स्तर से काफी खोजबीन की लेकिन दोनों का कुछ भी पता नहीं चला। थक हारकर जीजा ने अपने ही साले के खिलाफ अपनी बहन को अगवा करने की प्राथमिकी दर्ज करा दी। थानाध्यक्ष ने बताया कि लड़का और लड़की दोनों ही बालिग हैं। पुलिस दोनों की तलाश में जुटी है।
पुराने जमाने में शादी के बाद दुल्हन के सगे छोटे भाई और सगा नहीं रहने पर रिश्ते में चचेरे, ममेरे, फुफेरे या मौसेरे छोटे भाई को दुल्हन के साथ विदा किया जाता था। शादी के बाद जब दुल्हन कुछ दिन ससुराल में रहकर मायके के लिए विदा होती थी, तो उसका भाई भी साथ में वापस लौट आता था। इसके बाद विदाई होने पर वह फिर नहीं जाता था। बाद में सुविधा के अनुसार वह बहन के यहां आता जाता था। शादी के बाद दुल्हन के साथ विदा होने वाले उसके भाई को ही दहेजा कहा जाता है। हालांकि, यह परंपरा अब लुप्त हो चुकी है. लेकिन, कहीं-कहीं कुछ गांवों, परिवारों और जातियों में यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है.