CWC की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना, कहा 'सदाकत आश्रम रहा है स्वाधीनता आंदोलन का केंद्र बिंदु
CWC की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना, कहा 'सदाकत आश्रम रहा है स्वाधीनता आंदोलन का केंद्र बिंदु

पटना: राजधानी पटना में आज कांग्रेस CWC की बैठक में शामिल होने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, संगठन के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल समेत सभी कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री समेत अन्य वरिष्ठ नेता पटना पहुँच चुके हैं और बैठक शुरू हो चुकी है। बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर रहे हैं। बैठक के स्वागत भाषण में मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभी नेताओं का स्वागत करते हुए कहा कि सदाकत आश्रम स्वाधीनता आंदोलन का केंद्र बिंदु था। 1921 में स्थापित कांग्रेस का यह एतिहासिक दफ्तर कांग्रेस पार्टी के अनेकों महान नेताओं की कर्मस्थली रहा है। आज मैं उन सभी को विशेष श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
पटना में हो रही CWC की यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण है और हमलोग ऐसे समय में मिल रहे हैं जब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत एक बेहद चुनौतीपूर्ण और चिंताजनक दौर से गुजर रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की नाकामी और कुटनीतिक विफलता का नतीजा है कि आज हमारा देश चिंताजनक दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री जिनको “मेरे दोस्त” बताकर ढिंढोरा पीटते हैं, वही दोस्त आज भारत को अनेकों संकट में डाल रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने बिहार में गहन मतदाता पुनरीक्षण पर भी सवाल उठाया और कहा कि आज हमारे वोटर लिस्ट से छेड़छाड़ किया जा रहा है तो आवश्यक है कि हम लोकतंत्र की जननी बिहार में अपनी विस्तारित CWC बैठक आयोजित कर देश के लोकतंत्र और संविधान को बचाए रखने के अपनी प्रतिज्ञा को दुहराएं। आज से 85 वर्ष पहले रामगढ AICC सेशन में पहली बार संविधान सभा का प्रस्ताव आया था, उस वक्त महात्मा गांधी, पंडित नेहरु, डॉ अंबेडकर एवं संविधान सभा के सदस्यों ने मिल कर देश के नागरिकों 'एक व्यक्ति-एक वोट' का अधिकार दिया था। आज उस वोट पर चोट किया जा रहा है। विभिन्न राज्यों में खुलासे हुए हैं, EC उन सवालों के जवाब देने के बजाय हम से AFFIDAVIT माँग रहा हैं।
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बिहार की ही तर्ज पर अब देश भर में लाखों लोगों के वोट काटने की साजिश रची जा रही है। वोट चोरी का मतलब है- दलित, आदिवासी, पिछड़ा, अति-पिछड़ा, अल्पसंख्यक, कमजोर और गरीब के राशन की चोरी, पेंशन चोरी, दवाई चोरी, बच्चों की Scholarship और परीक्षा की चोरी। ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की वजह से बिहार की जनता में इसके बारे जागरूकता फैली और वो खुलकर राहुल गाँधी जी के समर्थन में आए। महात्मा गाँधी का 100 साल पुराना दिया गया ‘स्वदेशी का मंत्र’ जिसे काँग्रेस ने अंग्रेज़ों को परास्त करने के लिए इस्तेमाल किया, मोदी जी को आज याद रहा है। दूसरी तरफ़ चीन के लिए सरेआम रेड कार्पेट बिछाए जाते हैं। पिछले 5 वर्षों में चीन से हमारे आयात दो गुना बढ़ गया है। आज हमारा देश कई समस्याओं से जूझ रहा है। ये समस्याएँ आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, सामाजिक ध्रुवीकरण और स्वायत्त संवैधानिक संस्थाओं को निशाना बनाकर कमजोर किया जा रहा है। 2 करोड़ नौकरियों का वादा अधूरा रहा। युवा रोजगार के बिना भटक रहे हैं।
नोटबंदी और ग़लत GST ने अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया। 8 वर्षों के बाद प्रधानमंत्री जी को अपनी गलती का एहसास हुआ। अब GST में वही सुधार लाए गए जिसकी माँग काँग्रेस पार्टी पहले दिन से कर रही थी । मोदीजी का मानना है कि देशवासियों को और अधिक खर्च करना चाहिए परंतु जब पिछले 10 वर्ष में आमदनी नहीं बढ़ी, सिर्फ महंगाई बढ़ी है तो लोग अधिक खर्च कैसे करेंगे? ग्रामीण उपभोग 50 वर्षों में सबसे कम स्तर पर है, असमानता चरम पर है, अमीर ज्यादा अमीर बन गए, गरीब और ज्यादा गरीब बन रहे है। प्रधानमंत्री अपने वादे के मुताबिक किसानों की आय दोगुनी नहीं कर पाए। 2020-21 के तीन काले कानूनों की वजह से आंदोलन चला, 750 से अधिक किसान शहीद हो गए। केंद्र की मोदी सरकार के साथ -साथ अन्य राज्यों की भाजपा सरकारें भी धार्मिक ध्रुवीकरण और सांप्रदायिक भावनाओं को ज्वलंत रखने के मौके तलाशती रहती हैं।
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भाजपा ने जनवरी 2024 में नीतीश कुमार को फिर से समर्थन देकर बिहार में एनडीए सरकार बनाई। नीतीश सरकार ने विकास का वादा किया, लेकिन बिहार की अर्थव्यवस्था पिछड़ रही है।"डबल इंजन" का दावा खोखला साबित हुआ, केंद्र से कोई विशेष पैकेज नहीं मिला। बिहार में बेरोजगारी दर 15% से ऊपर है । हर साल लाखों युवा पलायन करते हैं। भर्ती घोटाले की वजह से युवा सड़कों पर आंदोलन करके पुलिस की लाठी खाते हैं। बिहार के किसानों की हालत शायद देश में सबसे ख़राब है। बाढ़ के कारण हर साल लाखों लोग कोसी और गंडक नदियों से नुकसान उठाते हैं। यह इस बात का सबूत है कि बाढ़ प्रबंधन में सरकार पूरी तरह विफल रही है। प्रधानमंत्री द्वारा अनेक मौकों पर बिहार के चीनी उद्योग के पुनरोद्धार का वादा किया। पर दस साल बाद भी उनका वादा झूठा ही रहा। NDA गठबंधन में आंतरिक कलह अब खुलकर सामने है। नीतीश कुमार को भाजपा ने मानसिक रूप से सेवानिवृत्त कर दिया है। भाजपा अब उन्हें बोझ मानने लगी है। बिहार की 80% आबादी OBC, EBC और SC/ST वर्गों से है। जनता जाति जनगणना और आरक्षण नीतियों में पारदर्शिता चाहती है। काँग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी ने केंद्र सरकार को घेरकर जाति जनगणना के लिए मजबूर किया है। बिहार में भी काँग्रेस महागठबंधन सरकार के कार्यकाल में जाति सर्वेक्षण हुआ।
मैं प्रधानमंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि क्या मजबूरी है कि बिहार की जनता को सरकार द्वारा पारित 65% आरक्षण को संवैधानिक सुरक्षा नहीं दिलवा पाये? इतिहास गवाह है कि काँग्रेस सरकार ने तो आज से तीस साल पहले तमिलनाडु के लोगों के लिए 69% आरक्षण को संवैधानिक सुरक्षा दी। इसे डबल इंजन की सरकार यहाँ नहीं कर पाई। सबसे अजीब बात UP के मुख्यमंत्री ने की, जो अपने आप को प्रधानमंत्री का उत्तराधिकारी समझते हैं। उन्होंने पहले आरक्षण के विरोध में लेख भी लिखा था। अब उन्होंने जातियों के नाम पर होने वाली रैलियों पर रोक लगा दी है। क्या प्रधानमंत्री जी देश को बताएंगे कि एक तरफ़ हम सब जाति जनगणना करने की बात कर रहे हैं, और दूसरी तरफ़ ऐसे लोग जो अपने ऊपर हो रहे अन्याय और अत्याचार के खिलाफ सड़क पर उतरते हैं, उनको आपके मुख्यमंत्री जेल में डालने की बात कर रहे हैं। क्या ये सही है? आपको जनता को बताना चाहिए। बिहार राज्य का शासन और प्रशासन लंबे समय से छुट्टी पर है। हर दिन लूट-पाट और हत्या की घटनाएँ होती है। अपराध दर में निरन्तर बढ़ोतरी हो रही है। स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है।
सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है, और अस्पतालों में दवाओं की भारी किल्लत है। एक साधारण बिहारवासी का बीमारी की स्थिति में या तो प्राइवेट अस्पतालों द्वारा शोषण किया जाता है, या वो इलाज़ कराने बिहार से बाहर जाने को मजबूर होता है। बिहार की जनता भाजपा का धार्मिक ध्रुवीकरण नहीं चाहती। वो विकास-केंद्रित राजनीति चाहती है। वह अपनी सरकार से Basic और long-term solution चाहती है। वह विकास, रोजगार, सामाजिक न्याय और सुशासन का अधिकार चाहती है और यही कांग्रेस पार्टी की माँग है। बिहार ने अपने ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक योगदान के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र को मजबूत किया। यहाँ की जनता ने हमेशा सामाजिक न्याय और जन आंदोलन को बढ़ावा दिया। दलित, आदिवासी, पिछड़े- अति पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों के उत्थान के लिए संघर्ष किया। मैं चाहता हूँ आज यहाँ से बिहार के पुनर्निर्माण का बिगुल फूंका जाए। काँग्रेस पार्टी अपने गठबंधन दलों के साथ मिलकर बिहार के लोगों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय और सुशासन मुहैया कराएगी। बिहार की जनता लंबे समय से ‘स्वर्णिम बिहार’ का सपना देख रही है और हम सब मिलकर इसे साकार करेंगे। ‘2025 विधानसभा चुनाव’ न सिर्फ बिहार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए मील का पत्थर साबित होगा। यहीं से मोदी सरकार के भ्रष्ट शासन की उलटी गिनती और अंत की शुरुआत होगी। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ।
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