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गणपति बप्पा का अनोखा भक्त : पिछले 9 सालों से मुंबई से प्रतिमा लाने वाले देवोत्तम ने लिया 40 साल का संकल्प

गणपति बप्पा के भक्तों की कहानियां अक्सर सुनने को मिलती हैं, लेकिन गया के देवोत्तम कुमार की आस्था वाकई अलग है। पिछले 9 वर्षों से वे हर साल मुंबई से लगभग डेढ़ हजार किलोमीटर की दूरी तय कर गणपति बप्पा की प्रतिमा गया लाते हैं।

Ganpati Bappa ka anokha bhakt : Pichle 9 salon se Mumbai se
गणपति बप्पा का अनोखा भक्त- फोटो : Darsh News

Gaya Ji : गणपति बप्पा के भक्तों की कहानियां अक्सर सुनने को मिलती हैं, लेकिन गया के देवोत्तम कुमार की आस्था वाकई अलग है। पिछले 9 वर्षों से वे हर साल मुंबई से लगभग डेढ़ हजार किलोमीटर की दूरी तय कर गणपति बप्पा की प्रतिमा गया लाते हैं। खास बात यह है कि प्रतिमा को सुरक्षित लाने के लिए ट्रेन में गणपति के नाम से अलग बर्थ रिजर्वेशन भी कराया जाता है। देवोत्तम कुमार पेशे से मिठाई कारोबारी हैं। लेकिन, गणपति बप्पा के प्रति इनकी श्रद्धा उन्हें खास बना देती है। इस बार 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी पर प्रतिमा स्थापित होगी। प्रतिमा की विशेषता यह है कि यह पगड़ीधारी स्वरूप में है। जिससे देवोत्तम अपने साथ पूरी सावधानी से लाते हैं। देवोत्तम बताते हैं कि यह परंपरा एक सपने से शुरू हुई। लगभग नौ साल पहले अपनी मिठाई की दुकान की शुरुआत गणेश चतुर्थी पर करने का फैसला किया। प्रतिमा लाई, पूजा की और सबकुछ शुभ रहा। दूसरी बार लोगों के आग्रह पर प्रतिमा फिर लाई गई। तीसरी बार जब मन में विचार आया कि, अब प्रतिमा नहीं लाएंगे, उसी रात गणपति बप्पा का सपना आया—“क्या पुत्र इस बार मुझे बाहर ही रखना है?” बस, यही क्षण था जब देवोत्तम ने अगले 40-41 सालों तक गणपति उत्सव मनाने का संकल्प ले लिया। देवोत्तम बताते हैं कि गणपति उत्सव में भोग लगाने की परंपरा भी हर साल बड़ी होती जा रही है। पहले 56 भोग से शुरुआत की थी, फिर संख्या 156, 256 तक पहुंची और इस बार 856 भोग लगाए जाएंगे। उन्होंने यह संकल्प भी लिया है कि जब तक 5056 भोग नहीं लगाएंगे, प्रतिमा स्थापना का सिलसिला जारी रहेगा। मोदक की बात करें तो शुरुआत 25 किलो से हुई थी, फिर 51 किलो, 101 किलो और अब इस बार गणपति बप्पा को 125 किलो  का मोदक अर्पित किया जाएगा। देवोत्तम कहते हैं कि उनकी प्रेरणा मुंबई के प्रसिद्ध लालबाग के राजा से है। वहां 1925 से गणपति उत्सव की परंपरा है। वे चाहते हैं कि गया में भी गणपति बप्पा का ऐसा ही भव्य उत्सव होता रहे। उनका सपना है कि यह परंपरा उनके जीवनकाल के बाद भी जारी रहे। देवोत्तम मानते हैं कि गणपति बप्पा ने कई बार संकट से उबारा है। मोहल्ले के लोग भी इन चमत्कारों के गवाह हैं। शायद यही वजह है कि हर साल लाखों रुपये खर्च कर वे यह उत्सव अकेले आयोजित करते हैं।

इस बार फिर गणपति बप्पा का आगमन हो रहा है। गया में महाराष्ट्र जैसा माहौल बनाने की तैयारी है। देवोत्तम कुमार की यह आस्था न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे शहर के लिए एक मिसाल बन गई है।



गयाजी से मनीष कुमार की रिपोर्ट




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