औरंगाबाद में विधि विरुद्ध किशोर को मिली ऐसी सजा कि बन गया चर्चा का विषय, पढ़ें क्या है मामला
औरंगाबाद में विधि विरुद्ध किशोर को मिली ऐसी सजा कि बन गया चर्चा का विषय, पढ़ें क्या है मामला

औरंगाबाद: विधि विरुद्ध किशोरों को अनूठी सजा दिए जाने के लिए चर्चित बिहार के औरंगाबाद के किशोर न्याय परिषद ने एक और अनोखी सजा सुनाई है। बोर्ड ने शुक्रवार को दिए फैसले में एक विधि विरुद्ध किशोर को सरकारी अस्पताल में सात दिनों की सामुदायिक सेवा करने की सजा सुनाई है। बोर्ड के प्रधान दंडाधिकारी सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एसीजेएम) सुशील प्रसाद सिंह ने बारूण थाना में दर्ज एक मामले की सुनवाई करते हुए एकमात्र विधि विरूद्ध किशोर को यह सजा सुनाई।
सरकारी अस्पताल में करना होगा सामुदायिक सेवा
पैनल अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि विधि विरूद्ध किशोर को जेजे बोर्ड ने सात दिनों तक बारूण के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सामुदायिक सेवा करने को आदेश दिया है। साथ ही बोर्ड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को यह आदेश दिया है कि विधि विरूद्ध किशोर का नाम और पता उजागर नहीं होना चाहिए। बोर्ड ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को विधि विरूद्ध किशोर की सेवा अवधि के आचरण और व्यवहार से संबंधित प्रतिवेदन एक निश्चित समय के अंदर किशोर न्याय बोर्ड में समर्पित करना सुनिश्चित करने को भी कहा है।
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किशोर न्याय परिषद का यह चौथा अनोखा फैसला
औरंगाबाद के किशोर न्याय परिषद ने पूर्व में भी विधि विवादित किशोरों को सुधरने का मौका देते हुए सामुदायिक सेवा करने के ऐसे कई फैसले दिए है। इस साल बोर्ड का यह चौथा अनूठा फैसला है। बोर्ड ने इसी साल 20 अगस्त को एक विधि विवादित किशोर को विश्व प्रसिद्ध देव सूर्य मंदिर में 15 दिनों की सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया था। इसके बाद 26 अगस्त को भी बोर्ड ने एक विधि विरूद्ध किशोर को रफीगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दस दिनों की सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया था। इसके अलावा बोर्ड ने 11 अक्टूबर को भी एक विधि विरूद्ध किशोर को ओबरा के सरकारी अस्पताल में सामुदायिक सेवा करने का फैसला दिया था। ताजा फैसले में भी बोर्ड ने विधि विवादित किशोर को बारूण के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सात दिनों की सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया है।
नजीर बन रहे जेजे बोर्ड के फैसले
अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही किशोर न्याय बोर्ड के अनूठे फैसलों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बोर्ड के ये फैसले नजीर साबित हो रहे है। इन फैसलों से न केवल विधि विरुद्ध किशोरों को सुधरने का मौका मिले रहा है बल्कि समाज को भी यह संदेश जा रहा है कि अपराध की राह छोड़कर सकारात्मक दिशा में भी आगे बढ़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बोर्ड के ये फैसले एक तरह के दंड है, जो अन्य किशोरों को भी अपराध से दूर रहने की प्रेरणा दे रहे है।
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औरंगाबाद से गणेश प्रसाद की रिपोर्ट