50 वर्षों से हो रहा बिहार के साथ अन्याय, उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में रैली कर केंद्र सरकार से की ये मांग
राजधानी पटना में पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने संवैधानिक अधिकार परिसीमन रैली आयोजित की. रैली के दौरान उन्होंने राजधानी पटना का नाम बदल कर पाटलिपुत्र करने की मांग की साथ ही शिक्षा के मुद्दे पर...

पटना: राजधानी पटना के मिलर हाई स्कूल के मैदान में पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा की तरफ से परिसीमन सुधार महारैली का आयोजन किया गया। रैली को संबोधित करते हुए एक तरफ जहां उन्होंने एनडीए में अपना भरोसा दिखाया तो दूसरी तरफ विपक्ष पर भी बरसे। उन्होंने कहा कि मैं यहाँ कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं कर रहा हूं। अगर मुझे शक्ति प्रदर्शन की जरूरत पड़ी तो हमारी पार्टी के कार्यकर्ता बेली रोड और गांधी मैदान तक को भरने में सक्षम हैं। उपेंद्र कुशवाहा के साथ जो ताकत खड़ी है वह हमारे सम्मान में हमेशा तत्पर रहती है। हमें अपने सम्मान की चिंता नहीं करनी पड़ती है, बल्कि वे लोग ही करते हैं।
उन्होंने कहा कि आप लोकसभा चुनाव के दौरान देखे होंगे कि काराकाट के लोग जितने चिंतित नहीं थे उससे अधिक चिंतित अगल बगल के लोग थे। सब लोगों ने उपेंद्र कुशवाहा के सम्मान की रक्षा की। उन्होंने कहा कि हम मुद्दों की राजनीति करते हैं। अभी हम जिस मुद्दे की चर्चा करने वाले हैं उसका संबंध बिहार विधानसभा चुनाव से बिल्कुल नहीं है। बिहार के साथ पिछले 50 वर्षों से बिहार के साथ अन्याय हो रहा है इसलिए हम उस अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। हमारा यह कार्यक्रम चुनाव को लेकर नहीं है। संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार की बात पिछले कई महीनो से कर रहे हैं। हमारी पार्टी ने तय किया है कि इस बात को लेकर हम बिहार में अभियान चलाएंगे। अब चुनाव सामने है, अब आगे हम लोग चुनाव के काम में लड़ेंगे लेकिन जिस मुद्दा को लेकर हम चले हैं। इस मुद्दा से संबंधित अभियान अभी खत्म नहीं हो रहा है, चुनाव के बाद फिर से जारी रहेगा।
हमारी पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा एक तरफ विरासत को बचाने और बढ़ाने की बात करती है तो दूसरी तरफ हम बिहार की समृद्धि की बात करते हैं। हमारी पार्टी लोगों के रोटी और इज्जत दोनों ही मोर्चा पर काम करती है। हम बिहार के आर्थिक समृद्धि की बात करते हैं और इसके लिए शिक्षा हमारे मूल मुद्दे में शामिल विषय है। उन्होंने कहा कि आज शिक्षक दिवस है, हम शिक्षकों को उनकी पुरानी इज्जत और छात्रों के लिए बेहतर शिक्षा व्यवस्था बनायेंगे तभी हम विकसित हो पाएंगे। जब शिक्षा मंत्री थे तब भी हम बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए अभियान चला रहे थे और आज हमें ख़ुशी है कि हमने जो भी अभियान चलाया आज बिहार की सरकार ने धीरे धीरे लागू करना शुरू कर दिया है। इसके लिए हम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद कहते हैं।
आज के बिहार की सरकार हर दिन कुछ न कुछ निर्णय ले रही है और वह निर्णय बेहतर के लिए है। आज बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश के नेतृत्व में आज बिहार के युवाओं को अवसर मिल रहा है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले देश में लोग स्टार्टअप शब्द का मतलब तक नहीं जानते थे, लेकिन आज केंद्र सरकार ने इसे एजेंडा में शामिल किया जिसके बाद बिहार और देश के नौजवान इसका लाभ उठा रहे हैं। हम किसान और जवानों की बात भी करते हैं। हम सामाजिक न्याय की भी बात करते हैं। रैली को संबोधित करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि पटना का नाम कोलकाता, चेन्नई, मुंबई के तर्ज पर पाटलिपुत्र करने की मांग की और कहा कि यह हमारी विरासत है। हमें विरासत में पाटलिपुत्र मिला था तो हम राज्य की सरकार से आग्रह करते हैं कि पटना का नाम पाटलिपुत्र करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजे।
परिसीमन पर भी बोले कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि लोग हमसे कहते हैं कि बिहार में चुनाव को देखते हुए आप परिसीमन का मुद्दा उठा रहे हैं तो मैं बता दूं कि इसका कोई संबंध बिहार के चुनाव से नहीं है। संविधान के अधिकार के तहत हमें हमारे अधिकार से वंचित किया जा रहा है। संविधान में व्यवस्था है कि प्रत्येक दस वर्ष पर देश में जनगणना होगा और उसके आधार पर लोकसभा और विधानसभा के सीटों की संख्या तय की जाएगी। संविधान की व्यवस्था के बाद 1951 के बाद तीन बार परिसीमन कर सीटों की संख्या बढाई गई लेकिन 1971 के बाद इस प्रक्रिया को रोक दिया गया। आज कांग्रेस अलग अलग यात्राएं कर रही हैं लेकिन आपातकाल में जो कुछ कांग्रेस की सरकार ने देश पर थोपा उसका अवशेष अभी तक देश पर बचा हुआ है।
1976 में संविधान में संशोधन कर परिसीमन के काम को रोक दिया गया। हम संविधान के अनुसार एक बार फिर परिसीमन करवाने के लिए अभियान चला रहे हैं और हमें प्रधानमंत्री पर भरोसा है कि बिहार के साथ हो रहे अन्याय को खत्म किया जायेगा। परिसीमन का काम नहीं होने के लिए दक्षिण के कुछ राज्यों ने एक प्लेटफार्म बना लिया है और परिसीमन के खिलाफ लगातार अभियान चला रहे हैं तो हम परिसीमन के पक्ष में अभियान चला रहे हैं। अगर 2011 के जनगणना के आधार पर परिसीमन किया जाता तो आज बिहार में 40 नहीं बल्कि 60 लोकसभा सीट होती और आज उतने लोग सांसद बन कर लोकसभा में बिहार के हक़ की बात करते। सरकार लोकसभा क्षेत्र के अनुसार ही योजनाएं भी बनाती है और इसी अन्याय को रोकने के लिए हम अभियान चला रहे हैं।
परिसीमन का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों ने जनसंख्या रोकने की कोशिश नहीं की जबकि हमने ऐसा किया और हमारी आबादी कम हो गई और उनकी आबादी बढ़ गई। वे कहते हैं कि हमने सरकार के नियमों का पालन किया और अनुशासित रहे तो उसकी सजा हमें परिसीमन के जरिये नहीं मिलना चाहिए।