इंटर्नशिप के भरोसे चल रहा GMCH अस्पताल, 7 महीने की गर्भवती महिला की मौत, अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों ने परिजनों को दौड़ाकर पीटा
पं.चम्पारण जिले का सबसे बड़ा बेतिया जीएमसीएच (GMCH) में हाल बेहाल है। इंटर्नशिप के भरोसे अस्पताल चल रहा है। आपको बता दें कि, कभी ऊपर, कभी नीचे दौड़ाते रहे और तभी मरीज की मौत हो गई।

Bettiah : पं.चम्पारण जिले का सबसे बड़ा बेतिया जीएमसीएच (GMCH) में हाल बेहाल है। इंटर्नशिप के भरोसे अस्पताल चल रहा है। आपको बता दें कि, कभी ऊपर, कभी नीचे दौड़ाते रहे और तभी मरीज की मौत हो गई। जिसके बाद परिजनों ने चिकित्सकों पर लगाया लापरवाही का आरोप लगाया है। बता दें कि, शिकायत करने पर गार्डों ने मारपीट की और वीडियो बनाने पर मोबाइल छिन लिया। जिससे अस्पताल में घंटों हंगामा होते रहा। शिकायत करने पर अस्पताल गार्डों ने पिटाई की, जिससे महिला समेत कई लोग बेहोश हो गए। बेतिया के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच) में उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया जब इलाज के दौरान एक 7 महीने की गर्भवती महिला की मौत हो गई। मृतका की पहचान चौतरवा थाना क्षेत्र के रायबारी महुअवा गांव के वार्ड संख्या 15 निवासी 21 वर्षीय सोनी देवी, पति ओमप्रकाश राम के रूप में हुई है। परिजनों ने चिकित्सकों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। पीड़ित परिजनों ने कहा कि, कभी ऊपर, कभी नीचे दौड़ाते रहे और तभी मरीज की मौत हो गई।
परिजनों ने यह भी आरोप लगाते हुए बताया कि, प्रसव पीड़ा होने पर वे महिला को इलाज के लिए पहले किसी निजी क्लीनिक में ले गए, लेकिन मरीज की स्थिति देखते हुए गवर्नमेंट मेडिकल अस्पताल में भेज दिया। उसके बाद परिजनों ने महिला को जीएमसीएच लाया। लेकिन, उसमें मौजूद चिकित्सकों ने समय रहते समुचित इलाज नहीं किया। आरोप है कि, प्रसूता को कभी ऊपर, तो कभी नीचे की मंजिल पर ले जाया गया। इलाज की प्रक्रिया में हुई देरी और अव्यवस्था के कारण महिला की हालत बिगड़ती गई और आखिरकार मौत हो गई।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि, जब मृतका के परिजन अस्पताल अधीक्षक से शिकायत करने पहुंचे, तो अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों ने कथित रूप से परिजनों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इससे महिला समेत कई लोग बेहोश हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक यह व्यवहार बेहद अमानवीय और निंदनीय था। अस्पताल परिसर में घंटों हंगामा चला। अब सवालों के घेरे में अस्पताल प्रशासन है। ग्रामीणों और परिजनों ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से इस पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। उनका कहना है कि, अगर इस मामले में कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो यह प्रशासन की सबसे बड़ी लापरवाही मानी जाएगी।
यह मामला सिर्फ एक प्रसूता की मौत का नहीं, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की संवेदनहीनता और लोकतांत्रिक अधिकारों के दमन का प्रतीक बनकर उभरा है। एक और जहां सरकार सुरक्षित मातृत्व और स्वास्थ्य सेवा की बातें करती है। वहीं दूसरी ओर बिहार के बड़े अस्पताल में एक गर्भवती महिला की इलाज के अभाव में मौत और फिर परिजनों की पिटाई होना बेहद गंभीर और शर्मनाक है। इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि, आम आदमी कहां जाए, जब अस्पताल ही असुरक्षित हो जाए?
बेतिया से आशिष कुमार की रिपोर्ट