जस्टिस सूर्यकान्त ने ली 53वें CJI पद की शपथ, बिहार से जुड़े इस मामले समेत दिए हैं कई एतिहासिक फैसले...
जस्टिस सूर्यकान्त ने ली 53वें CJI पद की शपथ, बिहार से जुड़े इस मामले समेत दिए हैं कई एतिहासिक फैसले...
नई दिल्ली: न्यायमूर्ति सूर्यकान्त ने सोमवार को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उन्होंने पूर्व CJI बीआर गवई के रिटायरमेंट के बाद उनके स्थान पर पदभार ग्रहण किया है। जस्टिस आज से अगले 15 वर्षों तक इस पद पर बने रहेंगे और 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे। 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे न्यायमूर्ति सूर्यकान्त कई एतिहासिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 1981 में स्नातक किया उअर 1984 में कानून में स्नातक की डिग्री ली। उन्होंने हिसार जिला अदालत से वकालत से अपने करियर की शुरुआत की।
2018 में उन्हें हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और फिर 2019 में उनका पदोन्नत करते हुए सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनाया गया। सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने कई एतिहासिक फैसले दिए जिसमें राष्ट्रपति के संदर्भ में वह फैसला भी शामिल है जिसमें राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों से निपटने में राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों पर निर्णय दिया है। वे उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने औपनिवेशिक काल के देशद्रोह कानून पर रोक लगाई और निर्देश दिया कि सरकार के द्वारा समीक्षा पूरी होने तक इस कानून के तहत कोई मामला दर्ज न किया जाये।
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जस्टिस सूर्यकान्त ने बिहार में SIR के दौरान 65 लाख नाम मतदाता सूची से हटाये जाने के मामले में भी चुनाव आयोग को विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया था। उन्होंने सशस्त्र बलों के लिए वन रैंक-वन पेंशन (OROP) योजना को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया और महिला सैन्य अधिकारियों द्वारा स्थायी कमीशन में समानता की मांग करने वाली याचिकाओं की सुनवाई जारी रखी। चीफ जस्टिस कांत सात-न्यायाधीशों की उस पीठ का हिस्सा थे जिसने 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) फैसले को पलट दिया, जिससे विश्वविद्यालय की अल्पसंख्यक दर्जा बहाली पर पुनर्विचार का रास्ता खुला। वे पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई करने वाली पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने अवैध निगरानी के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त की, यह कहते हुए कि राज्य राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर मुक्त छूट नहीं पा सकता।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का कहना है कि एक किसान का धैर्य उन्हें सिखाता है कि न्याय समय और सावधानी की मांग करता है। एक कवी की संवेदना उन्हें हर मामले के मानव पक्ष को समझने की क्षमता देती है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत नेतृत्व में संवेदनशीलता और संवाद को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं।
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