बिहार चुनाव में कामख्या एनालिटिक्स का अनुमान रहा परिणाम के काफी करीब
बिहार चुनाव परिणाम : एग्जिट पोल हुए सटीक साबित, कामाख्या एनालिटिक्स, मैट्रिक्स और टुडेज़ चाणक्य की भविष्यवाणियाँ नतीजों के बेहद करीब
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने कांग्रेस–राजद महागठबंधन को नकारते हुए भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को प्रचंड बहुमत दिया है। दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश एग्जिट पोल ने इसी रुझान की सटीक भविष्यवाणी की थी। कामाख्या एनालिटिक्स ने एनडीए को 167–187 सीटों का अनुमान दिया था, जो अंतिम नतीजों से लगभग मेल खाता है। इसी तरह मैट्रिक्स और टुडेज़ चाणक्य ने भी 147–167 और 148–172 सीटों की भविष्यवाणी करते हुए एनडीए की सरकार वापस आने का अनुमान जताया था। दोनों एजेंसियों के आकलन भी नतीजों के काफी करीब रहे। अंतिम नतीजों के घोषित होने के बाद यह साफ हो गया है कि कामख्या का आकलन लगभग बिल्कुल सटीक था।
बिहार जैसे जटिल राजनीतिक राज्य में, जहां जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे, महिला मतदाता और क्षेत्रीय रणनीतियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, कामख्या ने डेटा संग्रह और विश्लेषण का जो व्यापक मॉडल अपनाया, उसने उसके अनुमान को अत्यंत विश्वसनीय बनाया। सर्वे रेंज, वेटेज, बूथ चयन और जमीनी सैंपलिंग-इन सभी स्तरों पर की गई बारीकी दर्शाती है कि अनुमान कोई सतही अध्ययन नहीं बल्कि गहराई से किए गए शोध का परिणाम था। महागठबंधन के लिए भी इन एजेंसियों के अनुमान वास्तविक परिणामों के अनुरूप साबित हुए। कामाख्या एनालिटिक्स ने कांग्रेस–राजद गठबंधन को 54–74 सीटें, जबकि टुडेज़ चाणक्य ने 65–89 सीटें मिलने की संभावना जताई थी। दोनों ही अनुमानों ने साफ संकेत दिया था कि महागठबंधन सत्ता से दूर रहेगा- और यही हुआ। छोटे दलों के लिए किए गए अनुमान भी उल्लेखनीय रूप से सटीक रहे।
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मैट्रिक्स ने जेएसपी/जेएसयूपी को 5 सीटें, और एक्सिस माई इंडिया ने 0–2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था, जो काफी हद तक परिणामों में दिखाई देते हैं। पीपुल्स पल्स ने एनडीए के लिए 133–159 और महागठबंधन के लिए 75–101 सीटों का अनुमान जारी किया था, जो वास्तविक रुझानों के अनुरूप रहा। भास्कर एग्ज़िट पोल (एनडीए: 145–160, महागठबंधन: 73–91) ने भी अंतिम नतीजों की दिशा को काफी हद तक सही दर्शाया। पी-मार्क, पोलस्ट्रैट, पीपुल्स इनसाइट समेत कई अन्य सर्वेक्षण एजेंसियों के आंकड़ों से भी व्यापक रूप से यही संकेत मिल रहे थे कि एनडीए स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में लौटेगी। इस बार अधिकांश एजेंसियों ने अपने सैंपलिंग मॉडल, बूथ-स्तरीय कवरेज और जनसांख्यिकीय मैपिंग पर विशेष जोर दिया था। वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित इन सर्वेक्षणों ने मतदाताओं की भावना को बेहद सटीक तरीके से पकड़ने में सफलता प्राप्त की है। इसके चलते चुनाव परिणामों से पहले एग्ज़िट पोल पर सवाल उठाने वाले महागठबंधन को भी बड़ा झटका लगा है।
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