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एक डॉक्टर के प्रयास से पश्चिम चंपारण के नक्सलियों का लालगढ़ बना अस्पतालों का गांव..

Lalgarh of Naxalites in West Champaran has become a village

Bettiah -पश्चिम चंपारण जिला का आदिवासी बहुल क्षेत्र हरनाटांड़ जो कभी नक्सलियों के लालगढ़ के नाम से प्रसिद्ध था, और पुलिस भी दिन में भी जाने से घबराती थीं, आज वह अस्पतालों के गांव के नाम से मशहूर हो गया है.

दरअसल एक आदिवासी चिकित्सक कृष्णमोहन रॉय से प्रेरणा लेकर दर्जनों युवक-युवतियों ने मेडिकल के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाया और आज महज 100 मीटर के दायरे में तकरीबन 20 से 25 निजी क्लीनिक आदिवासियों द्वारा संचालित किया जा रहा है. 

मिली जानकारी वर्ष 1984 में दरभंगा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले कृष्णमोहन रॉय आदिवासी बहुल क्षेत्र के पहले डॉक्टर बने. जिसके बाद उप स्वास्थ्य केंद्र लौकरिया में उनका पदस्थापन हुआ लेकिन साल 1992 में जब उनका स्थानांतरण सीतामढ़ी हुआ तो पारिवारिक मजबूरियों की वजह से उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ने का फैसला किया. उन्होंने हरनाटांड़ में अपना निजी क्लीनिक स्थाई तौर पर खोल लिया । काफी संघर्ष के बाद डॉक्टर कृष्ण मोहन रॉय की ऐसी पहचान बनी कि बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों से भारी संख्या में लोग इलाज के लिए पहुंचने लगे. लिहाजा आदिवासी युवक-युवतियों के लिए डॉक्टर के एम रॉय आइकन बन गए. नतीजा यह हुआ कि आज आदिवासी समुदाय में 40 से 50 डॉक्टर हैं, जिसमें से हरनाटांड़ में 20 से 25 ने अपना निजी क्लीनिक खोल लिया है. यही वजह है कि यह इलाका अब मेडिकल हब के रूप में मशहूर हो गया है. आसपास के लोग विशेष अस्पतालों का गांव कहते हैं.

 बिटिया के आशीष की रिपोर्ट 

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