अब बिहार में रखी जाएगी जमीन की सेहत का रिपोर्ट कार्ड, नीतीश सरकार कर रही है...
खेत की सेहत का रिपोर्ट कार्ड: बिहार में बनेंगी 32 नई मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं। 25 जिलों में 32 नई प्रयोगशालाएं, किसानों को सटीक उर्वरक प्रबंधन की सुविधा मिलेगी, वैज्ञानिक खेती का नया अध्याय — खेत की मिट्टी की जांच से तय होगा उर्वरक और फसल चयन

अब किसानों को दूर नहीं जाना होगा, अनुमंडल स्तर पर ही मिलेगी मिट्टी जांच की सुविधा, 5 लाख से अधिक नमूनों की जांच के बाद राज्य में प्रयोगशालाओं का और विस्तार
पटना: बिहार सरकार कृषि विकास को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए मिट्टी जांच सुविधाओं का बड़े पैमाने पर विस्तार कर रही है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में 25 जिलों में 32 नई अनुमंडल स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं का निर्माण इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब किसानों को अपने खेत की मिट्टी की जांच के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी, बल्कि उन्हें अपने अनुमंडल स्तर पर ही यह सुविधा उपलब्ध होगी। राज्य में पहले से ही 14 अनुमंडल स्तरीय, 38 जिला स्तरीय और 72 ग्राम स्तरीय प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं। साथ ही प्रमंडल स्तर पर 9 चलंत मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं भी सक्रिय हैं। कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्रों की प्रयोगशालाएं इस नेटवर्क को और सुदृढ़ करती हैं। यानी मिट्टी जांच का एक ऐसा ढांचा खड़ा हो रहा है, जो खेत की सेहत की समय-समय पर रिपोर्ट कार्ड तैयार कर सके।
किसानों को क्या होगा फायदा?
सबसे बड़ा लाभ किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने में मिलेगा। अक्सर किसान पारंपरिक अनुभव के आधार पर खाद और उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं, जिससे या तो मिट्टी पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है या फिर फसल की उपज क्षमता घट जाती है। मिट्टी जांच प्रयोगशाला से उन्हें पता चलेगा कि उनके खेत की मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व (जैसे N, P, K, Zn, S, Fe, आदि) कम हैं और किनकी भरपूर उपलब्धता है। इसके आधार पर किसान सटीक उर्वरक प्रबंधन कर पाएंगे।
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इससे तीन बड़े लाभ सामने आएंगे—
- उपज में वृद्धि: फसल के लिए अनुकूल पोषण मिलने से उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।
- लागत में कमी: किसानों को जरूरत के हिसाब से ही खाद और उर्वरक खरीदना होगा, जिससे खर्च कम होगा।
- मिट्टी की दीर्घकालिक सेहत: अधिक रासायनिक खाद डालने से जो मिट्टी की उर्वरता घटती है, उस पर नियंत्रण होगा।
भविष्य की ओर कदम
पिछले वर्ष ही पांच लाख से अधिक मिट्टी के नमूनों की जांच की गई थी, जो इस बात का संकेत है कि किसान इस सुविधा का लाभ बड़े पैमाने पर ले रहे हैं। अब जब नई प्रयोगशालाएं स्थापित होंगी, तो यह संख्या और बढ़ेगी। डिजिटल तकनीक से नमूना संग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी और किसान को भरोसेमंद रिपोर्ट मिलेगी। कृषि प्रधान राज्य बिहार के लिए यह पहल केवल प्रयोगशाला खोलने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह खेती को वैज्ञानिक आधार पर टिकाऊ बनाने का संकल्प है। खेत की मिट्टी की सेहत सुधरेगी तो फसल भी स्वस्थ होगी, और अंततः किसान की आय और जीवन स्तर दोनों में सुधार होगा।
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