अब बिहार के स्टेशन एयरपोर्ट जैसे, रेलवे का नया दौर शुरू, राज्य के बजट, नई रेल लाइन और आधुनिक स्टेशनों ने बदली छवि
अब बिहार के स्टेशन एयरपोर्ट जैसे, रेलवे का नया दौर शुरू। 2005 के बाद की विकास यात्रा: राज्य के बजट, नई रेल लाइन और आधुनिक स्टेशनों ने बदली बिहार की छवि। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साझी दृष्टि ने बिहार को रेलवे के नए युग में...

पटना: कभी बदहाल बुनियादी ढांचे, टूटी पटरियों, अधूरे प्रोजेक्ट्स और पिछड़ी कनेक्टिविटी के कारण बिहार देश के विकास मानचित्र पर पिछड़ता हुआ नज़र आता था। 2005 से पहले तक राज्य की रेल व्यवस्था ऐसी थी कि कई जिलों में रेल संपर्क सिर्फ़ नाम मात्र का था। स्टेशनों की हालत जर्जर, ट्रेनों की संख्या सीमित और यात्रियों की सुविधाएं बेहद सामान्य थीं। आर्थिक गतिविधियों को गति देने वाला यह सबसे अहम माध्यम राज्य में उपेक्षा का शिकार था। लेकिन पिछले दो दशकों में जो परिवर्तन देखने को मिला है, उसने बिहार को रेलवे मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाई है। आज वही बिहार नई रफ्तार से दौड़ रहा है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने 3 अमृत भारत एक्सप्रेस समेत कुल 7 नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाना उसी यात्रा का प्रतीक को आगे बढ़ाया है, जो 2005 के बाद शुरू हुई थी।
इन नई ट्रेनों के मार्ग इस प्रकार हैं:
- मुजफ्फरपुर – चर्लपल्ली अमृत भारत एक्सप्रेस
- दरभंगा – मदार अमृत भारत एक्सप्रेस
- छपरा – आनंद विहार अमृत भारत एक्सप्रेस
- पटना – बक्सर पैसेंजर ट्रेन
- झाझा – दानापुर पैसेंजर ट्रेन
- पटना – इसलामपुर पैसेंजर ट्रेन
- शेखपुरा – बरबीघा – बिहार शरीफ – नवादा पैसेंजर ट्रेन
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विशेष रूप से शेखपुरा-बरबीघा-बिहार शरीफ रेलखंड पर ट्रेनों का संचालन स्थानीय लोगों का दशकों पुराना सपना था, जो अब साकार हो चुका है। रेलवे को बिहार की “विकास रीढ़” बताते हुए उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने सही ही कहा कि आज यह केवल परिवहन का साधन नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक प्रगति का आधार बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साझी दृष्टि ने इस क्षेत्र को नई दिशा दी है। केंद्र सरकार द्वारा बिहार के लिए 10,066 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड बजट आवंटन इसका सबसे बड़ा प्रमाण है — जो पिछली सरकारों की तुलना में नौ गुना अधिक है।
बिहार में रेल इंफ्रास्ट्रक्चर का नया दौर
इस निवेश का असर हर स्तर पर दिखाई दे रहा है। नई रेल लाइनों का निर्माण, दोहरीकरण, विद्युतीकरण और स्टेशन विकास के कार्य तेज़ी से हो रहे हैं। पटना जंक्शन पर नया टर्मिनल, फतुहा में मेगा कोचिंग टर्मिनल और झाझा-डीडीयू के बीच तीसरी और चौथी लाइन का निर्माण कार्य राज्य की बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिक जरूरतों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। बख्तियारपुर-राजगीर रेलखंड के दोहरीकरण और सुल्तानगंज-कटोरिया नई रेल लाइन परियोजना को भी मंजूरी मिल चुकी है, जिससे उत्तर और दक्षिण बिहार का संपर्क और मजबूत होगा।
अमृत भारत स्टेशन योजना और गंगा पुल: बिहार को जोड़ने वाला विकास
बिहार के विकास की कहानी केवल पटरियों तक सीमित नहीं है, बल्कि पुलों और स्टेशनों तक भी फैली हुई है। गंगा नदी पर नए रेल सह सड़क पुलों का निर्माण — चाहे वह मोकामा में राजेंद्र सेतु के समानांतर पुल हो या भागलपुर के पास बिक्रमशिला और कटरिया के बीच नया पुल — उत्तर और दक्षिण बिहार को और मजबूती से जोड़ देगा। साथ ही, अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 3,164 करोड़ रुपये की लागत से 98 स्टेशनों को आधुनिक स्वरूप देने का काम जारी है, जिससे यात्रियों को एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं मिलेंगी और बिहार की छवि बदल जाएगी। इस व्यापक निवेश का असर केवल परिवहन तक सीमित नहीं रहेगा। बेहतर कनेक्टिविटी से उद्योगों को गति मिलेगी, कृषि उत्पादों का तेज़ी से परिवहन होगा, शिक्षा और स्वास्थ्य तक पहुंच आसान बनेगी, और स्थानीय बाजारों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह सब मिलकर बिहार को उस नई ऊँचाई तक ले जाएगा जिसकी कल्पना कभी असंभव लगती थी।