इस वजह से आदिवासी समाज के लोग SIR प्रक्रिया में जमा नहीं कर पा रहे हैं अपने कागजात, कैमूर में 8 सूत्री मांगों के साथ...
सरकारी आदेशों के जरिये आदिवासी समाज के अस्तित्व पर खतरा का आरोप लगा लोगों ने समाहरणालय के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू किया है. लोगों ने अपनी 8 मांगें भी रखी है और मांग पूरी होने तक प्रदर्शन करने की बात कही...

कैमूर: कैमूर में विभिन्न मांगों को लेकर आदिवासी समाज के लोगों ने समाहरणालय पहुँच कर बुधवार को धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। आदिवासी समाज के लोगों ने अपने अस्तित्व पर खतरा बताते हुए विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। इस दौरान लोगों एन मुख्य सड़क भी जाम कर दिया जिससे अधिकारियों को भी अपने कार्यालयों में जाने में दिक्कत हुई और उन्हें रास्ता बदल कर अपने कार्यालय जाना पड़ा। आदिवासी विकास मोर्चा के बैनर तले बुधवार से आदिवासी समाज के लोगों ने अपनी 8 मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू किया है।
इस संबंध में प्रदर्शनकारियो ने कहा कि बिना खतियान के खरवार जाति के लोगों को जाति प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जाये, छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 फिर से लागू किया जाये, वन अधिकार अधिनियम 2006 को लागू किया जाये, अनुसूचित जनजाति आयोग में असंवैधानिक ढंग से गैर आदिवासी श्रेणी में रखा गया जिसे तत्काल हटाया जाये, जिला मुख्यालय में आदिवासी कल्याण छात्रावास का निर्माण कराया जाये, जनजातीय प्रखंड में जनजाति संस्कृति कला भवन का निर्माण कराया जाये, देवरी अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय में विभिन्न शिकायतों के आधार तीन निष्कासित छात्रों को वापस स्कुल बुलाया जाये और अनुसूचित जनजाति विद्यालय का नाम बदल कर भीमराव अंबेडकर के नाम पर कर दिया गया है जिसे पुनः पुराना नाम दिया जाये।लोगों ने बताया कि हमलोगों की मांग जब तक नहीं मानी जाएगी तब तक हम धरना प्रदर्शन करेंगे क्योंकि राज्य में विभिन्न आदेशों के आधार पर पहाड़ी क्षेत्र में रह रहे आदिवासियों के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश की जा रही है।
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इसके साथ ही लोगों ने बताया कि बीते महीने 5 तारीख को कार्मिक विभाग के मुख्य सचिव ने आदेश जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि खरवार जाति का प्रमाण पत्र निर्गत करने के लिए खतियान की जरूरत नहीं है लेकिन इसकी मांग जरुर की जानी है तो हम मांग करते हैं कि बगैर खतियान के किसी का भी खरवार जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाये। इसके साथ ही बिहार में चुनाव आयोग द्वारा गहन मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया में वन अधिकार अधिनियम के कागजात की मांग की जा रही है जबकि कैमूर में वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत किसी को कागजात निर्गत नहीं की गई है जिसे जल्द से जल्द जारी किया जाए ताकि लोग मतदाता सूची में अपना नाम बचाए रख सकें।
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कैमूर से प्रमोद कुमार की रिपोर्ट