सजा-ए-काला पानी: मुजफ्फरपुर में लोगों को काले पानी की मिल रही सजा, शिकायत के बाद भी सरकार मौन
आजादी से पहले लोगों को काला पानी की सजा मिलती थी। यह आपने भी सुना होगा। लेकिन मुजफ्फरपुर के औराई के लोगों को आज भी काले पानी की सजा मिल रही है।

Muzaffarpur : मुजफ्फरपुर जिले के औराई में बह रही मनुष्यमरा महानदी जहां कई सालों से औराई के धरहरवा समेत 15 पंचायत लोगों को काला पानी की सजा मिल रही है। केमिकल मिला हुआ यह पानी की दंश को पूरा गांव झेल रहा है। बाढ़ और बरसात के साथ यह केमिकल युक्त पानी लखनदेई नदी में प्रवेश कर जाती है। जैसे ही यह पानी नदी में पहुंचती है लोग बिमारी से ग्रसित होने लगते हैं। पानी में पैर रखते हैं इंसान क्या जानवर के अंदर भी बीमारी फैल जाती है। मवेशी के द्वारा पानी पीने ही घेंघा रोग की बिमारी फ़ैल जाती है। इस गांव के अंदर डेंगू और मलेरिया का डर हर वक्त लोगों के बीच सताता रहता है। इस गांव के अंदर डेंगू और मलेरिया का डर हर वक्त लोगों के बीच सताता रहता है। लगभग गांव के अंदर सैकड़ों लोग चर्म रोग का शिकार हो चुके है। बर्बादी का आलम यहीं खत्म नहीं होती। बाढ़ के समय खेतों में केमिकल युक्त पानी पहुंचते ही सारे फसलों को बर्बाद कर देता है। यहां के लोगों के द्वारा कई बार शिकायत के बाद भी न तो प्रशासन सुन रहा है ना ही सरकार। ग्रामीणों के लिए यहां का गंदा पानी सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। पहले इसी नदी के पानी से लोग बाबा भैरव नाथ मंदिर में जलाभिषेक करते थे। लेकिन जबसे रीगा चीनी मिल के केमिकल युक्त पानी को छोड़ा जाने लगा तबसे नदी के किनारे बसने वाले और किसान और मवेशी पालकों की परेशानी बढ़ गई। आलम यह है कि इस गंदे पानी से निजात दिलवाने को लेकर सरकार आज तक इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं कर पाई है। सवाल यह उठता है कि आखिर यहां के ग्रामीणों को काले पानी से छुटकारा कब मिल पाएगा।
कर्ज लेकर हम लोगों ने खेती किया था।
वहीं, इस मामले को लेकर स्थानीय ग्रामीण शत्रुघ्न दास ने बताया कि, दो एकड़ धान की फसल किए थे। काला पानी आने की वजह से फसल गल गया। मवेशी का चारा लाने जाते हैं तो पैर में खुजली हो जाता है। चर्म रोग जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कर्ज लेकर हम लोगों ने खेती किया था। सरकार से हम लोग मांग करते हैं कि इस कला पानी से रोका जाए वर्षों से इस कला पानी की दर्द झेलते आ रहे हैं।
धान और मूंग की फसल पानी आने के बाद सब गल गया।
इस मामले को लेकर सीमा देवी ने बताया कि, चार एकड़ में फसल किए थे। जिसमें धान और मूंग की फसल था। पानी आने के बाद सब गल गया। कर्ज लेकर हम लोगों ने खेती किया था बर्बाद हो गए। यह पानी कहां से आता है पता नहीं है। लेकिन जिस खेत में आ जाता है उसकी फसल बर्बाद हो जाती है।
चीनी रिगा मिल का पानी औराई इलाके में प्रवेश करता है।
वहीं इस मामले पर स्थानीय विधायक रामसूरत राय ने बताया कि, सीतामढ़ी होते हुए चीनी रिगा मिल का पानी औराई इलाके में प्रवेश करता है। जब सुशील कुमार मोदी पर्यावरण मंत्री थे। स्कॉर्पियो में जल शक्ति मंत्री भी लगे हुए हैं उसे खराब पानी को कैसे ठीक करके किसानों के लिए उपयोग में लाया जाए। जिस किसान आसानी से उसे पानी से खेती कर सके इसके साथ मवेशी पलकों को भी फायदा हो। इसके लिए वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का शोध किया जा रहा है वह लगाने के बाद पानी को साफ किया जाएगा फिर लखन दही नदी में वह पानी प्रवेश करेगी। हालांकि हम लोग चाह रहे हैं कि सीतामढ़ी के दूसरे नदी में इस नदी के पानी को जोड़ दिया जाए लेकिन भादा नाला निर्माण होने के बाद धरहरवा स्लुयुस गेट के जारिए लखनदेई नदी में प्रवेश करता है। औराई होते हुए कटरा के मोहनपुर से बसघट्टा में फैल जाता है।