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जननायक की उपाधि लेने वाले लोगों की पार्टी ने किया था कर्पूरी ठाकुर का विरोध, PM और CM ने...

PM और CM पहुंचे कर्पूरी ठाकुर के आवास, माल्यार्पण के बाद कहा 'उनकी उपाधि की चोरी करने वाले ने किया था विरोध...'

The party of those who claimed the title of Jananayak had op
PM और CM पहुंचे कर्पूरी ठाकुर के आवास, माल्यार्पण के बाद कहा 'उनकी उपाधि की चोरी करने वाले ने किया थ- फोटो : Darsh News

समस्तीपुर: बिहार चुनाव के प्रचार के लिए शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार दौरे पर थे। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समस्तीपुर और बेगूसराय में जनसभा को संबोधित किया और इससे पहले दोनों नेता समस्तीपुर के कर्पूरीग्राम स्थित पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के आवास पर पहुंचे और उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राजनीति में शुचिता एवं सादगी के प्रतीक और सामाजिक न्याय के लिए अभूतपूर्व प्रयास करने वाले कर्पूरी ठाकुर जी हम सबके प्रेरणास्रोत हैं। हमलोग उनके आदर्शों पर चल रहे हैं। उनके सपनों को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं।  हमलोग शुरू से कर्पूरी ठाकुर जी को ‘भारत रत्न’ सम्मान देने की मांग कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस की केंद्र सरकारों ने उसे नहीं माना। बाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में NDA सरकार ने ही कर्पूरी ठाकुर जी को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया। 

आज कल कुछ लोग अब स्वयं को जननायक घोषित कर असली जननायक को अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर जी जैसे विराट व्यक्तित्व के अपमान का राजद और महागठबंधन के अन्य सहयोगी दलों द्वारा मौन समर्थन करना शर्मनाक है। नई पीढ़ी को जानना चाहिए कि बिहार में 15 नवंबर 1978 को तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर जी ने जब पिछड़ों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया था, उस समय मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इसका जमकर विरोध किया था। आज उसी कांग्रेस के साथ राजद का गठबंधन है, क्योंकि राजद के शीर्ष नेता भी शुरू से ही अति पिछड़ों को आरक्षण देकर आगे बढ़ाने के विरोधी रहे। कर्पूरी जी द्वारा वर्ष 1978 में सरकारी सेवाओं में पिछड़े वर्ग के लोगों को 8 प्रतिशत तथा अति पिछड़े वर्ग के लोगों को 12 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया गया। 

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वर्ष 1993 में जब यह पता चला कि बिहार में भी मंडल कमीशन की तर्ज पर अति पिछड़ों एवं पिछड़ों को एक वर्ग में डालने की बात हो रही है तो मैंने साफ तौर पर इसका विरोध किया। 24 जनवरी 1993 को हमने स्पष्ट रूप से कह दिया कि कर्पूरी जी के द्वारा जो आरक्षण लागू किया गया है, उसमें अगर कोई छेड़छाड़ होगी और उसमें अगर कोई परिवर्तन करने की कोशिश होगी तो हमलोग इसका पूरजोर विरोध करेंगे।  बिहार की जनता ने जब नवंबर 2005 में मुझे मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने का मौका दिया, उसके बाद मैंने पंचायतों में महिलाओं और अति पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया। पिछले चार पंचायत चुनावों में लाखों महिलाओं एवं वंचित तबकों के लोगों को नेतृत्व का अवसर मिला, जिससे गांव-समाज में उनका सम्मान बढ़ा, उनकी आवाज बुलंद हुई।  पिछले 20 वर्षों में हमने ‘न्याय के साथ विकास’ की नीति के तहत बिना किसी भेदभाव के, समाज के वंचित तबकों के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए लगातार काम किया है। इसके लिए अनेक दूरगामी योजनाओं की न केवल शुरूआत की, बल्कि उनका कारगर कार्यान्वयन भी सुनिश्चित किया है। इस तरह हमने वंचित तबकों के उत्थान के कर्पूरी जी के सपनों को धरातल पर साकार करने के लिए हरसंभव प्रयास किया है और आगे भी करते रहेंगे।

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