darsh news

खामोश हुई चंद्रयान-3 का काउंटडाउन करने वाली आवाज, इसरो की वैज्ञानिक एन. वलारमथी का निधन

valarmathi-provide-countdowns-for-rocket-launches-at-srihari

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से एक दुखद खबर सामने आई है. इसरो की एक वैज्ञानिक वलारमथी का निधन हो गया. हृदय गति रुकने से उन्होंने रविवार को आखिरी सांस ली. वह वलारमथी ही थीं, जिन्होंने श्रीहरिकोटा में रॉकेट लॉन्च की उलटी गिनती में अपनी आवाज दी थी. उनकी आखिरी बार उलटी गिनती अभी हाल ही में दी थी, जब देश के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण हुआ था. चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था.

वलारमथी देश के पहले स्वदेशी रडार इमेजिंग सेटेलाइट रीसेट की परियोजना निदेशक भी थीं. एन वलारमथी चंद्रयान-3 मिशन में भी शामिल थीं और काउंटडाउन वाली आवाज उन्हीं की थी. उन्होंने 64 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. उनका जन्म तमिलनाडु के अरियालुर में 31 जुलाई 1959 को हुआ था. साल 2015 में उन्हें डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. 14 जुलाई को जब चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाना था उस दौरान उल्टी गिनती वाली आवाज उन्हीं ने दी थी. इसरो की वैज्ञानिक वलारमथी के निधन पर पूर्व वैज्ञानिक वेंकटकृष्ण ने दु:ख जताया है.

'अब नहीं सुनाई देगी वलारमथी मैडम की आवाज'

विऑन के मुताबिक, उनके निधन की जानकारी वेंकटकृष्ण ने 'एक्स' के माध्यम से दी. उन्होंने एक्स पर किए एक पोस्ट में लिखा, श्रीहरिकोटा से इसरो के आगामी मिशनों में अब वलारमथी मैडम की आवाज सुनाई नहीं देगी. मिशन चंद्रयान-3 उनका अंतिम काउंटडाउन था. उनके निधन से गहरा दुख हुआ है.

30 जुलाई को की थी आखिरी घोषणा

बता दें कि इसरो की वैज्ञानिक एन वलारमथी तमिलनाडु के अरियालुर की रहने वाली थीं. उन्होंने आखिरी बार अपनी आवाज 30 जुलाई को दी थी. जब पीएसएलवी-सी56 रॉकेट एक वाणिज्यिक मिशन के तहत सिंगापुर के सात उपग्रहों को लेकर अंतरिक्ष में रवाना हुआ था.

14 जुलाई को किया था चंद्रयान-3 का काउंटडाउन

इससे पहले उन्होंने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग का काउंटडाउन किया था. बता दें कि चंद्रयान-3 को 14 जुलाई दोपहर 2.35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था. इसके बाद चंद्रयान-3 की 23 अगस्त की शाम 6.04 बजे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कराई गई थी. इसके साथ ही भारत दुनिया का पहला देश बन गया जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने में कामयाब रहा.

Scan and join

darsh news whats app qr