लालटेन' के अंधकार युग को काफी पीछे छोड़ चुकी है जनता : विजय कुमार सिन्हा

बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बिहार विधानसभा सभा के शीतकालीन सत्र को सकारात्मकता से ओतप्रोत बताया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का मंदिर हमारी विरासत और संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण वाहक का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि 25 नवंबर को ही चार साल पूर्व बतौर विधानसभा अध्यक्ष चुना गया था और 2021 में इसी दिन राजेन्द्र बाबू की धरती सीवान से 'सामाजिक नैतिक संकल्प अभियान' की जिलेवार यात्रा की शुरुआत की थी । उनके कार्यकाल में विरासत और सनानतन संस्कृति पर केंद्रित कई विकास कार्य हुए चाहे वो मां सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना हो, कल्पतरु और अन्य उपयोगी वृक्षों का रोपण हो, डिजिटल लाईब्रेरी, हो या फिर विधानसभा में शत-प्रतिशत सवालों का उत्तर हो जैसे कई और अन्य विकास कार्य हुए। उपमुख्यमंत्री ने मौजूदा राजनीतिक विषयों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 2025 के विधानसभा चुनाव में NDA देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री नितीश कुमार के नेतृत्व में न केवल चुनाव लड़ने जा रहा है । बल्कि प्रचंड बहुमत के साथ एक बार फिर सुशासन की सरकार भी बनेगी । इसकी बानगी उपचुनाव के परिणाम ने दिखा दी है ।श्री सिन्हा ने कहा कि दूसरी ओर विपक्ष में बैठे 'मौसमी नेता' हैं । जो चुनाव के समय हवाई यात्रा करते हुए हवा-हवाई दावे और वादे करते हैं । बिहार की जनता उनका इतिहास भलभांति जानती है । उनके दौर में गाली और गोली से दोधारी विकल्प से व्याकुल युवा बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों में पालयन के लिए विवश थे । उस दौर में सूबे में नरसंहारों में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या कश्मीर में आतंकवाद के कारण हुई हत्याओं से कहीं अधिक थी ।प्रदेश का शासन तब सरकार नहीं बल्कि सत्ता द्वारा पोषित गुंडे और बाहुबली चलाते थे । श्री सिन्हा ने कहा कि आज उसी शासन को चलाने वालों के बाल-बच्चे अपने पूर्वज की शैली में ही प्रदेश को आतंक, भ्रष्टाचार और अराजकता की आग में झोंकने पर एक बार फिर आमादा हैं । न उन्हें तथ्यों की समझ है, न जमीनी हकीकत का अंदाजा है । वे बस 'ट्विटर बॉय' बनकर अपनी 'आभासी उपस्थिति' दर्ज कराते रहते हैं । क्योंकि कहीं न कहीं उन्हें भी अपनी राजनीतिक जमीन पूरी तरह खिसकती नजर आने लगी है । उन्हें भी यह आभास हो चुका है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी स्थिति 2010 से भी बदतर होने जा रही है ।श्री सिन्हा ने कहा कि दरअसल बिहार की जनता काफी पहले ही 'लालटेन युग' से निकलकर सुशासन और विकास के उजाले को अपना चुकी है । प्रधानमंत्री की प्रेरणा से मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य की NDA सरकार बिना किसी भेदभाव के हर वर्ग के समेकित विकास के लिए काम किया है । अब तो हम राज्य को हर मामले में विकसित राज्य बनाने में जुट चुके हैं । ऐसे में समाज को जाति और धर्म के नाम पर बांट कर अपने परिवार की सत्ता सुरक्षित करने वाले लोगों के लिए राज्य की राजनीति में कोई जगह नहीं रह गई है।श्री सिन्हा ने कहा कि तेजस्वी प्रतिपक्ष के नेता के तौर पर भी अबतक असफल रहे हैं । जनसरोकार से ज्यादा उनका फोकस सोशल मीडिया एक्टिविसज्म पर रहता है । अपनी जिम्मेदारियों से मुंह चुराकर वे जाति और धर्म के नाम पर सामाजिक विभाजन के प्रयास में जुटे हैं । अपने पिता की तरह वे भी जातिगत गोलबंदी और तुष्टिकरण की आग में एकबार फिर से बिहार को झोंकने में जुटे हैं । जबकि सच्चाई यह है कि सामाजिक विभाजन को हवा देकर केवल अपने परिवार का जंगलराज फिर से कायम करने की जुगत में जुटे हैं । लेकिन बिहार की जनता जंगलराज के साये से पूरी तरह मुक्त होकर काफी आगे निकल चुकी है । इसलिए पिछले चुनावों की तरह आगामी विधानसभा चुनाव में भी तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी को करारी हार का ही सामना करना पड़ेगा ।