'वोट चोरी' के खिलाफ विपक्ष का 'हल्ला बोल' : बैरिकेड फांदकर कूदे अखिलेश, प्रोटेस्ट में बेहोश हुईं महुआ मोइत्रा... राहुल-प्रियंका...
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष के 300 से ज्यादा सांसद चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पुलिस बैरिकेड फांद कर कूद गए।

Desk : कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष के 300 से ज्यादा सांसद चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पुलिस बैरिकेड फांद कर कूद गए। वहीं विपक्षी सांसद संसद भवन के मकर द्वार से चुनाव आयोग के दफ्तर तक जाने की कोशिश की।
आपको बता दें कि, चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे विपक्ष के नेताओं ने दिल्ली में कथित 'वोट चोरी' के खिलाफ व्यापक मार्च निकाला है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष के 300 से ज्यादा सांसद इस मार्च में शामिल हुए। इस दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पुलिस बैरिकेड फांद कर निकल गए। विपक्षी सांसद संसद भवन के मकर द्वार से चुनाव आयोग के दफ्तर तक जाने की कोशिश की।
दिल्ली पुलिस ने इस दौरान सुरक्षा के कई लेयर का इंतजाम किया। इस दौरान अखिलेश यादव विपक्षी सांसदों की नारेबाजी के बीच बैरिकेंड फांदकर कूद गए। बैरिकेड से कूदे अखिलेश यादव को वहां मौजूद दूसरे नेताओं ने संभाल लिया। अखिलेश यादव ने कहा कि, चुनाव आयोग पर कई बार प्रश्न चिन्ह लगे हैं। अगर ऐसी शिकायत आई है तो चुनाव आयोग को कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि, खासकर उत्तर प्रदेश में जहां वोट की लूट हो रही है। अखिलेश ने कहा कि, संसद में हम अपनी बात रखना चाहते हैं लेकिन सरकार सुनना ही नहीं चाहती है।
वहीं पुलिस ने राहुल गांधी को आगे बढ़ने से रोक दिया तो वे सड़क पर ही अन्य सांसदों के साथ बैठ गए और आगे जाने देने की मांग करने लगे। थोड़ी देर बाद पुलिस ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को हिरासत में ले लिया।
सांसद टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा प्रदर्शन के दौरान बेहोश हो गईं। इस दौरान वे पुलिस की बस में थीं। महुआ मोइत्रा को बस में ही राहुल गांधी ने पानी पिलाया। पश्चिम बंगाल के आरामबाग से ही एक दूसरे सांसद मिताली बाग प्रदर्शन के दौरान बेहोश हो गईं। उन्हें सड़क पर लिटाकार साथी नेताओं ने पानी के छींटे मारे।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि, "जब तक लोगों के मन में चुनावों की निष्पक्षता को लेकर संदेह है, तब तक यह चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा रहा है. अगर ये संदेह दूर हो जाते हैं तो चुनाव आयोग की विश्वसनीयता फिर से हासिल की जा सकती है. चुनाव आयोग का अपना हित इन सवालों का समाधान करने में है."
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