महागठबंधन की करारी हार तो NDA ने कर दिया कमाल, आखिर क्या रही हार की वजह पढ़ें....
महागठबंधन की करारी हार तो NDA ने कर दिया कमाल, आखिर क्या रही हार की वजह पढ़ें....
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में राजद समेत महागठबंधन की बुरी हार हुई है। महागठबंधन की हार से समर्थकों में मायूसी का माहौल है। बिहार के सियासी गलियारे समेत पूरे देश में NDA की जीत का लहर है तो दूसरी तरफ महागठबंधन की हार का भी कम चर्चा नहीं हैं। राजद के नेतृत्वकर्ता तेजस्वी यादव भी लंबे समय तक पीछे चले और एक समय ऐसा लगने लगा था कि तेजस्वी यादव भी हारने वाले हैं। हालांकि उन्होंने 20वें राउंड से अपनी वापसी की और अपनी पारंपरिक सीट से जीत दर्ज की।
हालांकि महागठबंधन की हार के कई कारण बताये जा रहे हैं लोगों का कहना है कि कांग्रेस और राजद समेत महागठबंधन की तरफ से कई गलतियाँ हुई जिसकी वजह से उन्हें बुरी तरह से हार मिली। राजद 2020 में एक तरफ जहाँ बिहार की सबसे बड़ी पार्टी थी वहीं अब वह पार्टी 2025 में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई।
MY फार्मूला रहा फेल
बिहार में MY समीकरण राजद के लिए बड़ा वोट बैंक रहा है लेकिन इस बार बिहार में जातिय राजनीति काम नहीं किया। राजद की बड़ी ताकत मुस्लिम और यादव वोट भी इस बार काम नहीं किया और राजद की हार का सबसे बड़ा कारण बना। दूसरी तरफ महिलाओं ने भी NDA को एकतरफा वोट किया।
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टिकट वितरण में गड़बड़ी
महागठबंधन में बिहार चुनाव से पहले सीट शेयरिंग पर फैसला करने में काफी देरी तो हुई ही साथ ही कई सीटों पर टिकट वितरण में भी काफी देरी हुई। विधानसभा चुनाव में कई ऐसी सीटें रही जहाँ महागठबंधन के एक से अधिक उम्मीदवार आमने सामने रहे। विश्लेषकों मुताबिक पार्टी ने यादव और कुछ खास जातियों को ज्यादा टिकट देकर संतुलन बिगाड़ दिया। इससे कई अहम समुदायों को लगा कि उन्हें सही प्रतिनिधित्व नहीं मिला।
महिला वोटर का एकतरफ मूड
बिहार में इस बार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने सबसे अधिक वोट डाला। NDA की सरकार ने महिलाओं को ख्याल में रख कर कई योजनाएं बनाई और महिला सशक्तिकरण और कल्याण के मुद्दे को आगे रखा। NDA ने एक तरफ महिलाओं को उद्यमी योजना के तहत 10 हजार रूपये खाते में भेजे तो दूसरी तरफ पहले की योजनाओं की भी याद दिलाई। हालांकि महागठबंधन ने भी महिलाओं के लिए कई घोषणाएं की लेकिन मौजूदा सरकार पर महिलाओं ने अधिक भरोसा जताया।
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लालू-राबड़ी काल का भी पड़ा असर
बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही NDA ने लालू-राबड़ी के कार्यकाल की याद दिलानी शुरू कर दी। NDA ने 2005 से पहले वाली जंगलराज की छवि को उछाला और नीतीश कुमार के विकास और सुशासन की सरकार का हवाला दिया। NDA ने 2005 के पहले के जंगलराज का सबसे बड़ा भुक्तभोगी महिलाओं को बताते हुए उन्हें भी भावनात्मक रुप से अपने पक्ष में करने की कोशिश की। हालांकि राजद समेत महागठबंधन ने भी कई महिलाओं को टिकट दिया लेकिन उनका महिलाओं के प्रति योजनाएं काम नहीं कर सकी। तेजस्वी यादव ने महिलाओं के लिए कई योजनाओं की घोषणा भी की थी लेकिन सारी घोषणाएँ NDA के आगे फिसड्डी साबित हो गई।
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