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116 की मौत, बाबा भोले फरार, बड़ा सवाल इस तरह की लापरवाही का शिकार कबतक होते रहेंगे आमलोग..

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Desk- उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में अब तक 116 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई लोग अभी भी घायल अवस्था में अस्पताल में जीवन और मौत से जूझ रहे हैं. वहीं सरकार की तरफ से इस हादसे की जांच शुरू कर दी गई है आयोजन कमेटी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है वहीं प्रशासनिक लापरवाही की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बना दी गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सरकार के तीन मंत्री, मुख्य सचिव, डीजीपी समेत कई अधिकारी मौके पर कैंप कर रहे हैं.सरकार और अधिकारी हाथ से बनाम साजिश के एंगल से  जांच कर रहे हैं.

 वही इस हादसे के बाद सत्संग करने वाले भोले बाबा भूमिगत हो गए हैं. पुलिस की टीम उन्हें ढूंढ रही है. मिली जानकारी के अनुसार कोरोना कल में भी उन्होंने नियमों का उल्लंघन करके इस तरह का सत्संग किया था. सत्संग में हुए खुद को भगवान के रूप में पेश करते हैं जिसकी वजह से कई श्रद्धालु उनके चरण छूने के लिए लालायित रहते हैं और भगदड़ की शुरुआत चरण छूने को लेकर ही हुई है. अब बताया जा रहा है कि भोले बाबा के  खिलाफ कई आपराधिक मामले भी दर्ज हैं. बाबागिरी करने से पहले भोले बाबा के पास एक छोटा सा घर था पर अब एक राजमहल में वे रहते हैं और राजशाही जीवन जीते हैं, पर सवाल उठता है कि इन सभी बिंदुओं पर प्रशासन और सरकार ने पहले ध्यान क्यों नहीं दिया. बाबागिरी की यार में वह मनमानी करते रहे और सरकार आंखे बंद करते रही.अब जब हादसे हो गए हैं तब पुरानी बातों को याद किया जा रहा है और अब सख्त कार्रवाई की बात कही जा रही है.

इस हादसे पर राजनीतिक दलों की तरफ से शोक संवेदना व्यक्त करने के साथ ही आरोप प्रत्यारोप भी किया जा रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि जब इतने लोग वहां जुटे थे तो प्रशासन के लोग कहां थे सरकार के इंतजाम किस तरह की थी यानी इस हादसे के लिए सरकार दोषी है, वही अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह समय पीड़ितों के घाव पर मरहम लगाने का है ना की राजनीति करने का.. आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद हाथरस पहुंच रहे हैं और यह संभव है कि उनके द्वारा पूरे मामले की समीक्षा किए जाने के बाद कई अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है. आयोजक एवं भोले बाबा के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है पर बड़ा सवाल है कि अब यह कार्रवाई कितनी भी सख्त हो पर क्या 100 से ज्यादा जो लोग मारे गए हैं उनको वापस लाया जा सकता है. जिस मां ने अपना बेटा खो दिया है, जिस बच्चे ने अपनी मां खो दिया है, उसका आगे का जीवन बसर कैसे चलेगा. सरकार मृतकों के परिवार को 2 लाख और घायलों के लिए 50000  का मुआवजा देने की घोषणा कर दी है, पर क्या आर्थिक मुआवजा देना ही मृतकों और पीड़ितों के प्रति न्याय माना जा सकता है. सरकार को इस हादसे के लापरवाह सभी लोगों पर ऐसी कार्रवाई करनी चाहिए जो एक उदाहरण पेश करें और एक  ऐसा SOP बनाना होगा जो इस तरह के हादसे को होने से रोके.

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