मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी एकता ही मुहीम को एक बार फिर जोर मिलता दिखाई पड़ रहा है. आज और कल यानी कि 2 दिन कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक होने वाली है. जिसको लेकर एक बार फिर गहमागहमी तेज हो गई है. इस बैठक में इस बैठक में बिहार से सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, राजद सुप्रीमो लालू यादव, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और राष्ट्रीय महासचिव संजय कुमार झा शामिल होंगे. बता दें कि, पूरे 24 दिनों के बाद विपक्षी नेताओं की बैठक होने जा रही है.
इस बार 25 पार्टियां होगी शामिल
वहीं, विपक्षी नेताओं की बैठक को इस बार जोर मिलने की भी खबरें सामने आ रही है. दरअसल, इस बार बेंगलुरु में होने वाले बैठक में 25 पार्टियां शामिल होने वाली है. बता दें कि, पहली बैठक जो कि राजधानी पटना में आयोजित की गई थी, उसमें 17 राजनीतिक पार्टी के नेता शिरकत किये थे. लेकिन, इस बार 8 और पार्टियां भी बैठक में शामिल होने वाली है. जिसके बाद से यह बैठक कई मायनों में बेहद ही खास माना जा रहा है.
पहली बार सोनिया गांधी हो सकती हैं शामिल
बता दें कि, राजधानी पटना में विपक्षी नेताओं की बैठक में कांग्रेस के तरफ से कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ-साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी शामिल हुए थे. लेकिन, इस बार ऐसा कहा जा रहा है कि, बैठक में सोनिया गांधी भी शामिल हो सकती हैं. इसके साथ ही वह डिनर होस्ट कर सकती हैं. हालांकि, इस बात की अब तक पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो पाई है. सोनिया गांधी शामिल होती है या नहीं यह तो बैठक के दिन ही पता चल पायेगा.
इन मुद्दों पर हो सकती है विशेष चर्चा
बता दें कि, विपक्षी दलों की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने की रणनीति के साथ विपक्ष के पीएम चेहरे को लेकर भी चर्चा हो सकती है. इसके अलावे यूपीए के संयोजक को लेकर भी मुहर लग सकती है. बता दें कि, बीजेपी की तरफ से लगातार विपक्ष के पीएम फेस को लेकर सवाल उठाये जा रहे थे. वहीं, विपक्षी दलों की होने वाली बैठक कई मायनों में खास मानी जा रही है. 17 जुलाई को कुछ ही मुद्दों पर चर्चा होगी लेकिन 18 जुलाई को होने वाली बैठक में कई बड़े और अहम फैसले लिए जा सकते हैं.
पहली बैठक के बाद NCP में टूट
यह भी बता दें कि, एक तरफ जहां विपक्षी एकता की बैठक को जोर मिलने की बात कही जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ पहली बैठक के बाद के परिणाम को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. दरअसल, पहली बैठक के बाद ही महाराष्ट्र में बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ था. NCP में बड़ी टूट देखने के लिए मिली थी. अजित पवार ने एकाएक बड़ा फैसला लिया और शिंदे सरकार में शामिल होने के बाद डिप्टी सीएम पद की शपथ भी ले ली थी. अजित पवार ने NCP में टूट का कारण NCP प्रमुख शरद पवार के विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होना ही बताया था.
पहली बैठक के बाद अरविंद केजरीवाल की शर्त
वहीं, बात कर लें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की तो विपक्षी एकता की पहली बैठक के बाद अरविंद केजरीवाल ने शर्त रख दी थी. जिसके मुताबिक, दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर जो केंद्र सरकार की तरफ से अध्यादेश जारी किया गया था, उस पर अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस का स्टैंड क्लियर करने की बात कही थी. अध्यादेश को लेकर अगर कांग्रेस अपना स्टैंड क्लियर नहीं करेगी तो अरविंद केजरीवाल ने दूसरी बैठक में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया था.
बहरहाल, इन सभी चर्चाओं के बीच दूसरी बैठक में क्या कुछ होता है. बैठक कई मायनों में शाम माना जा रहा है तो ऐसे में कौन-कौन से बड़े निर्णय लिए जाते हैं, यह तो देखने वाली बात होगी.