Desk:- उत्तर प्रदेश, झारखंड, दिल्ली समेत अन्य राज्यों के बिहार में काम करने वाले करीब 68000 शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ने वाली है, क्योंकि बिहार के शिक्षा विभाग ने इन सभी शिक्षकों के मार्कशीट और अन्य सर्टिफिकेट के जांच करने का फैसला किया है. इन सभी अभ्यर्थियों के मार्कशीट के साथ ही CTET एवं दिव्यंका प्रमाण पत्र के साथ ही अन्य सर्टिफिकेट की जांच की जाएगी, इस जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही वेतन के मद में दी गई राशि की वापसी भी की जाएगी. शिक्षा विभाग के फैसले से दूसरे राज्यों के शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है.
बताते चलें कि बिहार में करीब 5 लाख शिक्षक सरकारी स्कूलों में कार्यरत हैं और इनमें करीब 68 हजार शिक्षक दूसरे राज्यों के मूल निवासी हैं. सबसे ज्यादा बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा 24000 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है. बिहार के शिक्षा विभाग को दूसरे प्रदेशों के शिक्षकों के सर्टिफिकेट में बड़े पैमाने के गड़बड़ी की शिकायत मिली है. CTET परीक्षा में न्यूनतम अर्हता से कम अंक वाले की भी नियुक्ति हुई है, वहीं कई फर्जी प्रमाण पत्र लगाए जाने की भी शिकायत मिली है. यही वजह है कि शिक्षा विभाग ने दूसरे राज्यों के सभी 68000 शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच का फैसला किया है. मिली जानकारी के अनुसार अगर जांच में शिक्षकों के प्रमाण-पत्र संदिग्ध पाए जाते हैं तो उन्हें होल्ड किया जाएगा। इस दौरान वे अपने वर्तमान स्कूलों में पढ़ाते रहेंगे लेकिन यदि प्रमाण-पत्र फर्जी साबित होते हैं तो न केवल उनकी सेवा समाप्त होगी बल्कि वेतन की रिकवरी भी की जाएगी।
इस संबंध में प्राथमिक शिक्षा निदेशक पंकज कुमार ने कहा कि जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्रों पर सवाल है, उन्हें अभी राज्यकर्मी बनने के लिए इंतजार करना होगा। इसके अलावा दूसरे विषयों से उत्तीर्ण हुए शिक्षकों की नियुक्ति पर भी रोक लगी है. ऐसे शिक्षक भी जांच के घेरे में हैं. इससे पहले भी फर्जी प्रमाण पत्र और CTET मैं कम अंक होने की वजह से कई शिक्षकों को नौकरी से हटाया जा चुका है.