Barh:- पटना जिले के बाढ़ में उत्तरवाहिनी गंगा तट पर स्थित उमानाथ धाम में माघी पूर्णिमा के मेले में लाखों की संख्या में लोग पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाई। लोग आस्था की डुबकी तो लगाते ही हैं, लेकिन आस्था के इस आड़ में भूतखेली की जाती है । नालंदा, पटना, गया, नवादा आदि कई जिलों से लोग आते हैं और उमानाथ में खुद पऱ भूत और देवताओं के भरने का दावा करते हैं। डंडे और मंदरे के सहारे नृत्य करते और झूमते नजर आते हैं। कई भगत ऐसे होते हैं, जो अपने कमर में सैंकड़ों की संख्या में घुंघरू बांधकर मनरे की थाप पर थिरकते हैं।
वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण लोगों में एक आस्था यह भी है कि जब मन्नतें पूरी होती है तो माघी पूर्णिमा के ही अवसर पर सैंकड़ों की संख्या में लोग पठरू यानी बकरी का बच्चा को गंगा नदी में प्रवाहित कर देते हैं। उनका मानना है कि जब संतान उत्पत्ति होती है, तो उस जीव के बदले में जीव का दान किया जाता है। हालांकि घाट के ठेकेदारों द्वारा गंगा नदी से छानकर उन्हें बचा लिया जाता है और फिर उसे पशु पालकों के यहां बेच दिया जाता है। इस तरह से अंधविश्वास के चंगुल से ठेकेदारों द्वारा उन्हें बचा लिया जाता है। हालांकि कई ग्रामीण इस अंधविश्वास को आस्था समझते हैं। इसलिए सामाजिक जागरूकता, शिक्षा आदि जरुरी है। 21वीं सदी के दौर में भी अंधविश्वास और पाखंड के चक्कर में लोग अपने जान-माल का नुकसान कर बैठते हैं। मानसिक रोगियों को बुरी आत्माओं का प्रभाव बताया जाता है और भगत भोले-भाले ग्रामीण जनता से उसे ठीक करने के ऐवज में मोटी रकम वसूलते हैं ।
बाढ़ से कृष्ण देव की रिपोर्ट