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32 साल बाद 19 दोषियों को एक साथ आजीवन कारावास की सजा..

After 32 years, 19 convicts sentenced to life imprisonment t

Motihari :-  19 दोषियों को एक साथ आजीवन कारावास और 55 हजार आर्थिक दंड की सजा सुनाई गई है, यह सजा 32 साल बाद मॉब लिंचिंग के मामले में सुनाई गई है. पूर्वी चंपारण जिले के पंचम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार तिवारी की कोर्ट ने यह सजा सुनाई है.कोर्ट ने जिन दोषियों को सजा सुनाई है उनमें मधुबन थाना क्षेत्र के भगवानपुर निवासी बतहु भगत, अशर्फी भगत, विंदेश्वरी भगत, राजेंद्र भगत, शंकर भगत, सीताराम भगत, सोगारथ भगत, राजेंद्र भगत, रामचंद्र भगत, विनोद भगत, जनक भगत, भोला भगत, जीत नारायण भगत, बाबूलाल भगत, प्रेमचंद्र भगत, हरि भगत के अलावा मधुबन थाना क्षेत्र के ही घेघवा गांव के रहने वाले हृदय नारायण भगत, उपेंद्र भगत एवं मधुबन थाना क्षेत्र के कोठिया गांव के रहने वाले रामप्रीत भगत का नाम है.

 बताते चलें कि  1 अगस्त 1993 को मॉब लिंचिंग की घटना हुई थी. इस घटना को लेकर घेघवा निवासी रामएकबाल राय ने मधुबन थाना में दो दर्जन नामजद व दर्जनों अज्ञात लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी. राम इकबाल राय की शिकायत के अनुसार 1 अगस्त 1993 की संध्या काम करके घेघवा चौक पर पहुंचा, तो सुनने में आया कि स्थानीय निवासी गुलठुल दास किसी लड़का को अपने मठ में रखे हुए है. जिसको लेकर एक खास समुदाय के लोग हरवे हथियार से लैस होकर एकत्रित हुए हैं.घर के तरफ बढ़े तो देखा कि गुलठुल दास उर्फ गुलठुल राय को एकत्रित लोग गाली दे रहे हैं.  सभी लोग मठ को घेर लिए. गुलठुल राय जान बचाकर घेघवा चौक की तरफ भागे. जहां लोगों ने उसे घेरकर तेज हथियार से काटकर व गोलीमार कर हत्या कर दी. बाद में पता चला कि स्थानीय निवासी हुकुम महतो के पोता को गुलठुल राय पकड़ कर मठ में रखा था. जिसके आक्रोश में लोगों ने उसकी हत्या कर दी. राम इकबाल राय के इस बयान के आधार पर मधुबन थाना में कांड संख्या 70/1993 दर्ज हुआ. इस कांड में 23 मई 2001 को अभियुक्तों पर न्यायालय ने आरोप गठन किया. सत्रवाद संख्या 498/2000 विचारण के दौरान अपर लोक अभियोजक सुभाष प्रसाद यादव ने 11 गवाहों को न्यायालय में प्रस्तुत कर साक्ष्य कराया. सुनवाई के दौरान नामजद पांच अभियुक्तों की मृत्यु हो गई. न्यायाधीश ने दोनों पक्षों के दलीलें सुनने के बाद नामजद अभियुक्तों को धारा 302, 147, 148, 201/149 भादवि एवं 27 आर्म्स एक्ट में दोषी पाते हुए  आजीवन कारावास की सजा सुनाई.


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