Desk- विवादित भाषण देने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव मंगलवार के खिलाफ मिली शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट अगले कुछ दिनों में कुछ निर्णय ले सकता है, क्योंकि नोटिस मिलने के बाद जस्टिस शेखर यादव नें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश समेत कॉलेजियम के पांच जजों के समक्ष अपनी बात रखी.जस्टिस यादव से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस अभय एस ओका से मुलाकात की.
इस मुद्दे पर आधिकारिक रूप से जानकारी शेयर नहीं की गई है लेकिन सूत्रों की माने तो जस्टिस शेखर यादव ने कहा कि उनके भाषण को पूरे संदर्भ में नहीं समझा गया. उसके कुछ हिस्से उठा कर विवाद पैदा कर दिया गया.
जबकि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश समेत कॉलेजियम के सदस्यों ने जस्टिस शेखर यादव को स्पष्ट रूप से बताया कि किसी भी जज बयान निजी नहीं होता है, बल्कि उसका हर वक्तव्य सार्वजनिक समीक्षा के दायरे में आता है. जज के बयान संवैधानिक मूल्यों के मुताबिक ही होने चाहिए. आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर अपना निर्णय ले सकती है.
बताते चलें कि 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा था कि भारत बहुसंख्यक हिंदुओं की भावनाओं के मुताबिक चलेगा. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू अपने बच्चों को दया और सहिष्णुता सिखाते हैं और मुसलमान अपने बच्चों के सामने जानवरों का वध करते हैं. हिंदू संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है, जबकि मुसलमान तीन तलाक, 4 पत्नी और हलाला को अधिकार मानते हैं.अपने भाषण में उन्होंने मुसलमानों के लिए कठमुल्ला शब्द का भी इस्तेमाल किया.
इस भाषण के वायरल होने के बाद बाद काफी विवाद हुआ. कैंपेन फ़ॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) जैसे संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर संज्ञान लेने की मांग की थी. CJAR के संयोजक वकील प्रशांत भूषण के दस्तखत से चीफ जस्टिस को लिखी चिट्ठी में जस्टिस यादव के आचरण को जजों के कंडक्ट रूल के खिलाफ बताते हुए आंतरिक जांच समिति बनाने की मांग की गई थी.उसके बाद 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से जस्टिस यादव के भाषण पर रिपोर्ट मांगी. इसके बाद जस्टिस यादव को भी अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया था.