नई दिल्ली: भारत के खेल प्रेमियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। करीब 20 वर्ष बाद भारत को एक बार फिर से कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेजबानी का मौका मिल गया है। ग्लासगो में बुधवार को कॉमनवेल्थ गेम्स की आमसभा की बैठक में अहमदाबाद को मेजबानी दिए जाने को औपचारिक मंजूरी मिल गई है। बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व संयुक्त सचिव (खेल कुणाल, भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पी टी उषा और गुजरात के खेल मंत्री हर्ष संघवी सहित कई अन्य कर रहे थे।
बैठक के दौरान कामनवेल्थ स्पोर्ट के अध्यक्ष डॉ डोनाल्ड रुकारे ने कहा कि यह कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए एक सुनहरे दौर की शुरुआत है। भारत व्यापकता, युवा शक्ति, महत्वाकांक्षा, समृद्ध संस्कृति, अपार खेल जूनून और प्रासंगिकता लेकर आता है। हम अगले शतक की शुरुआत मजबूत स्थिति में कर रहे हैं। राष्ट्रमंडल खेल 2030 में अपने सौ वर्ष भी पूरा कर रहा है, इस लिहाज यह संस्करण विशेष रहने वाला है। भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी काफी महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि भारत 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी की दौड़ में भी है और इस के लिए भी अहमदाबाद को ही प्रस्तुत किया गया है।
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राष्ट्रमंडल खेल 2030 की मेजबानी में भारत को नाइजीरिया से टक्कर मिल रही थी लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स ने 2034 के खेलों की मेजबानी के लिए दक्षिण अफ्रीका के इस शहर के नाम पर विचार करने का फैसला लिया है। बता दें कि भारत ने 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी पर लगभग 70,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जो शुरुआती अनुमान 1600 करोड़ रुपये से कहीं अधिक था। चार साल में एक बार होने वाले इन खेलों में 72 देश हिस्सा लेते हैं जिनमें से ज़्यादातर पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश हैं। राष्ट्रमंडल खेल के अंतरिम अध्यक्ष डॉ डोनाल्ड रुकारे ने कहा था कि कार्यकारी बोर्ड को भारत और नाइजीरिया दोनों के प्रस्ताव ‘‘प्रेरक’’ लगे, लेकिन आखिर में 2030 में होने वाले खेलों की मेजबानी के लिए अहमदाबाद को चुना गया।
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