Patna:- दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद बिहार के एनडीए नेताओं का जोश भरा हुआ है, और ये लोग अब बिहार के मुख्य विपक्षी राजद के साथ ही नई राजनीति की शुरुआत करने वाले प्रशांत किशोर पर भी निशाना साध रहे हैं. सत्ताधारी जेडीयू ने प्रशांत किशोर की जन स्वराज पार्टी में फंडिंग को लेकर बड़े सवाल उठाए हैं, और इसकी जांच केंद्रीय एजेंसी से करने पर जोर दिया है, वही इस मुद्दे को लेकर प्रशांत किशोर की ओर से भी पलटवार किया गया है.
JDU प्रवक्ता नीरज कुमार ने प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के फंडिंग स्रोतों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जनसुराज के बैनर तले ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में बदलने का खेल चल रहा है.वे जनसुराज की फंडिंग की शिकायत बिहार सरकार की जांच एजेंसी EOU और केंद्र सरकार की जांच एजेंसी ED में करेंगे।
जॉय ऑफ गिविंग के माध्यम से न केवल जनसुराज पार्टी की पॉलिटिकल एक्टिविटी का भुगतान किया जाता है, बल्कि फेलोशिप से लेकर हर सोशल मुहिम का खर्च जनसुराज के अकाउंट के बदले जॉय ऑफ गिविंग के अकाउंट से ही होता है। इतना ही नहीं, प्रशांत किशोर के पास प्रोफेशनल लोगों की एक टीम है। इसमें लगभग 100 से ज्यादा लोग काम करते हैं। इनकी औसतन सैलरी 30 हजार रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक है। इनकी सैलरी का भुगतान भी जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन के अकाउंट से ही किया जाता है।जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन को ढाई साल पहले पूर्णिया के पूर्व सांसद उदय सिंह ने खरीदा था। उन्होंने बताया कि 'ये एक बनी-बनाई कंपनी थी, जिसे ढाई साल पहले मैंने खरीदा था।' उदय सिंह ने बताया कि प्रशांत किशोर को जो भी मदद करते हैं, वे इसके माध्यम से करते हैं। इसे बनाने का मकसद था कि जो सोशल काम होंगे, वहां पैसे का यूज किया जाएगा। अलग-अलग तरह के लोग समर्थन करते हैं। यहां पैसा आता है, तो सबके राय मशविरे से खर्च होता है।
जेडीयू ने जनसुराज पर गंभीर आरोप लगाते हुए सवाल पूछा है कि प्रशांत किशोर किस हैसियत से पार्टी के सूत्रधार हैं, क्योंकि जनसुराज के गठन का आवेदन अगस्त 2022 में चुनाव आयोग को दिया गया था। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक पार्टी की तरफ से 8 और 9 अगस्त को द सिख टाइम्स और कौमी पत्रिका में दो पब्लिक नोटिस भी जारी किया गया था।इस पब्लिक नोटिस के मुताबिक इस पार्टी का कार्यालय सुइट नंबर-2, फर्स्ट फ्लोर, दक्षिणेश्वर बिल्डिंग,10 हेली रोड नई दिल्ली है। पार्टी के अध्यक्ष- शरत कुमार मिश्रा, विजय साहू महासचिव और अजित कुमार कोषाध्यक्ष हैं। जब आधिकारिक तौर पर प्रशांत किशोर पार्टी में किसी पद पर ही नहीं है तो वे किस हैसियत से खुद को पार्टी का सूत्रधार बताते हैं। अगर वे सूत्रधार हैं तो चुनाव आयोग से उन्होंने ये जानकारी क्यों छिपाई है।
दूसरा आरोप लगाते हुए कहा गया है कि संदिग्ध कंपनियों से पैसा- चिटफंड की तर्ज पर राजनीति की जा रही है. रामसेतु इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने कंपनी में सबसे ज्यादा 14 करोड़ चंदा दिया है। जबकि इस कंपनी का पेड अप कैपिटल मात्र 6.53 करोड़ रुपए है। इस कंपनी के डायरेक्टर और कंपनी का नाम दोनों बार-बार बदला जा रहा है। इस तरीके से कई ऐसी कंपनी हैं, जिनका पेड अप कैपिटल बहुत कम है, लेकिन उन्होंने करोड़ों में चंदा दिया है।इसके साथ ही एनरिका इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड ने NGO को 20 करोड़ उधार दिया है। क्यों दिया गया है, इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। अगर एक साल के रिकॉर्ड को देखें तो 2023-24 में इस NGO को कुल 48.75 करोड़ रुपए का डोनेशन मिला है।
वहीं तीसरा आरोप लगाते हुए JDU के मुख़्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि समाज सेवा करने वाली कंपनी से पॉलिटिकल एक्टिविटी क्यों की जा रही है.
जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन कंपनी एक्ट के तहत एक चैरिटेबल संस्था के रूप में दर्ज है। प्रशांत किशोर इसे अपनी राजनीतिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।क्या इसे ब्लैक मनी को व्हाइट मनी बनाने का माध्यम बनाया है। इस कंपनी के डायरेक्टर को हर दो साल में बदल दिया जा रहा है, ताकि जिम्मेदारी तय न की जा सके। जो शरत कुमार मिश्रा फिलहाल इस कंपनी के एडिशनल डायरेक्टर हैं, वहीं पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। इसके पीछे एक पूरा नेक्सस काम कर रहा है।
वहीं जेडीयू के आरोप पर प्रशांत किशोर ने कहा, कि “जन सुराज को मिलने वाला हर रुपया उन लोगों और संस्थाओं से आ रहा है, जिन्हें मैंने पिछले 10 वर्षों में अपने प्रोफेशनल जीवन में सपोर्ट किया। यह पैसा बैंक के ज़रिए, पारदर्शी तरीके से लिया जा रहा है। सारी डिटेल्स पब्लिक डोमेन में हैं।” उन्होंने JDU, भाजपा और RJD नेताओं से सवाल करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव, नीतीश जी या मोदी जी… आप सरकार में हैं, जांच का एजेंसी आपके पास है। क्यों डर रहे हैं?