Aurangabad - बिहार लोक सेवा आयोग(BPSC ) की 69वीं सिविल सेवा परीक्षा में औरंगाबाद की बेटी ने कमाल किया है. टॉप 10 शामिल होने वाले एकमात्र अभ्यर्थी क्रांति कुमारी है. उसे छठ रैंक मिला है.
मिली जानकारी के अनुसार क्रांति कुमारी औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड के एरकीकला गांव की रहनेवाली है। ओबीसी कैटेगरी से होने के बावजूद क्रांति ने जेनरल कैटेगरी में यह बड़ी उपलब्धि हासिल की है। क्रांति की सफलता से परिवार में खुशी का माहौल है। क्रांति का पूरा परिवार झारखंड के धनबाद में रहता है और उसने प्रारंभिक स्तर से लेकर स्नातक तक की शिक्षा धनबाद से ही पूरी की है। क्रांति चार भाईयों की सबसे छोटी और इकलौती बहन हैं। उसके पिता रामाशीष प्रजापति झारखंड के चाईबासा में सब इंस्पेक्टर के रूप में कार्यरत है जबकि माता सुहागिनी देवी गृहिणी है। वही सबसे बड़े भाई कामदेव कुमार बिहार के कैमूर में जल संसाधन विभाग में कनीय अभियंता के पद पर कार्यरत है। भाईयों में दूसरे नंबर पर कमलेश कुमार दिल्ली विकास प्राधिकरण(डीडीए) में सहायक अभियंता है जबकि तीसरे भाई धनबाद में ही रहकर बीपीएससी की तैयारी कर रहे है। वही चौथे भाई डॉ. भोला कुमार चिकित्सक है और एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद गया में मगध मेडिकल कॉलेज में एमडी की पढ़ाई कर रहे है। क्रांति की सफलता पर पूरा परिवार खुश है।
क्रांति के माता-पिता रामाशीष प्रजापति और सुहागिनी देवी कहते है कि अपने बच्चों की पढ़ाई पर उन्होने सर्वाधिक ध्यान दिया है। यही वजह है कि बीपीएससी की तैयारी कर रहे तीसरे पुत्र को छोड़ कर सभी बेटे और बेटी आज जॉब में आ गए है। क्रांति के सबसे बड़े भाई कामदेव कहते है कि उनकी बहन लगनशील स्टूडेंट रही है। उसकी लगनशीलता का ही परिणाम है कि उसे यह बड़ी सफलता मिली। क्रांति के दूसरे बड़े भाई कमलेश कुमार कहते है कि दिल्ली में जैसे ही उन्हे बहन की सफलता की सूचना मिलते ही उनकी खुशी का ठिकाना नही रहा। मुझे अपनी बहन पर गर्व है। वही कांति के तीसरे भाई अजय कुमार कहते है कि मैं अभी पीछे ही रह गया और बहन ने बाजी मार ली। बहन की सफलता मेरे लिए प्रेरणादायक है। मैं अपनी छोटी बहन से प्रेरणा लेकर बीपीएससी की परीक्षा में सफल होने का भरपूर प्रयास करूंगा और मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं सफल होउंगा। वही क्रांति के चौथे बड़े भाई भोला कहते है कि क्रांति हम चारो भाईयों की लाडली है। उसने बड़ी सफलता हासिल कर हम भाईयों और पूरे परिवार का मान-सम्मान बढ़ाया है।
सफलता से बेहद खुश क्रांति कहती है कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए शिक्षा और शिक्षा के महत्व को समझना होगा। कहा कि उनका लक्ष्य यूपीएससी में सफलता हासिल करना रहा है। इसके लिए उसने दो बार यूपीएससी की परीक्षा दी लेकिन सफलता नही मिली। इसके बावजूद वह अपने ईरादे से पीछे नही हटी और तैयारी में लगी रही। पहली बार उसने 69वीं बीपीएससी की परीक्षा दी और पहले प्रयास में ही यह सफलता मिल गई। कहा कि उन्होंने इस परीक्षा के लिए कही कोई कोचिंग नही की है बल्कि सेल्फ स्टडी की है। पढ़ना तो हर हाल में स्टूडेंट को ही है, चाहे वह कोचिंग करे या सेल्फ स्टडी करे। दोनो ही स्थिति में पढ़ना स्टूडेंट को ही है। जो पढ़ेगा और जमकर मेहनत करेगा, वह आगे बढ़ेगा, उसे सफलता मिलेगी ही। वह दूसरे स्टूडेंट्स के लिए सलाह के रूप में कहती है कि मेहनत के अलावा सफलता पाने का कोई दूसरा रास्ता नही है। कोचिंग ले या सेल्फ स्टडी करे, पढ़ना तो आपको ही और मेहनत भी आपको ही करनी है। जैसी मेहनत करेंगे, वैसी ही सफलता मिलेगी। क्रांति अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और भाईयों को देती हैं। उसने कहा कि बचपन से ही मेरे माता-पिता हम सभी भाई-बहन को शिक्षा और पढ़ाई का महत्व बताते हुए प्रेरित करते रहे है। जब मैंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की तो हर समय तीनों बड़े भाईयों से मार्गदर्शन मिलता रहा। इसी का परिणाम है कि उसे यह सफलता मिली। क्रांति कहती है कि बीपीएससी परीक्षा में मिली सफलता के बावजूद वह यूपीएससी क्रैक करने के लक्ष्य से पीछे नही हट रही हूं। उसका लक्ष्य आइएएस बनना है। ट्रेनिंग और जॉब के दौरान भी वह अपना प्रयास जारी रखेगी और पूरी उम्मीद है कि यूपीएससी क्रैक करने में भी उसे सफलता जरूर मिलेगी।
औरंगाबाद से गणेश की रिपोर्ट