एक विवाह भवन का वीडियो सोशल मीडिया पर इन दिनों बड़े ही तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो की बात करें तो, उसमें दूल्हे के नाम के साथ "BPSC TEACHER" लिखा गया है. इसे लेकर सोशल मीडिया पर कुछ लोग आलोचना कर रहे हैं, वे यह तर्क देते हुए दिख रहे हैं कि, BPSC केवल एक परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था है और दूल्हे का पद विद्यालय शिक्षक के रूप में मान्य है. ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि, अगर डिस्प्ले पर "BPSC TEACHER" लिखा गया है तो इसमें जलन या आलोचना की आवश्यकता क्यों ? हो सकता है शादी के डिस्प्ले में "BPSC TEACHER" लिखने का मकसद शायद खुशी और गर्व जताना है. हालांकि, BPSC केवल एक परीक्षा आयोजित करने वाला निकाय है और इसे "शिक्षक पद" के साथ जोड़ना तकनीकी रूप से सही नहीं है.
इधर, आलोचना करने वालों का मानना है कि यह, "BPSC TEACHER" लिखना दिखावा है. वहीं, दूसरी ओर समर्थकों का कहना है कि, यह व्यक्ति की उपलब्धि को दर्शाता है और इसमें किसी को जलन महसूस करने की जरूरत नहीं. बता दें कि, विवाह भवन की तस्वीर को बिहार शिक्षक मंच की ओर से साझा किया गया और लिखा कि, "ये एक विवाह भवन का फोटो है जहाँ डिस्प्ले पर दूल्हे के नाम के साथ BPSC TEACHER लिखा आ रहा है जिसको लेकर कुछ लोग टारगेट कर रहे है । मानते है BPSC सिर्फ एग्जाम कंडक्टिंग बॉडी है और इनका पद विद्यालय अध्यापक का है लेकिन BPSC लिख देने से जलन क्यों ? जब कोई चीज ये लोग का बुरा आता है तो आपलोग BPSC लिख के टारगेट करते है वही BPSC लिख कर जब इनको खुशी मिल रही है तो जलन क्यों भाई ? आप भी जाओ BPSC की परीक्षा में बैठो जो मन हो बनो । शिक्षा विभाग खुद इनको कई डॉक्यूमेंट में BPSC TEACHER लिखती है इसलिए जलना बंद करे ये इनके खुशी का पल है अगर BPSC लिख कर खुशी बढ़ गयी तो इसमें दिक्क़त क्या है ?"
इसके अलावे एडुकेटर्स ऑफ बिहार की ओर से एक वीडियो शेयर करके लिखा गया कि, "BPSC शिक्षक का जलवा". बता दें कि, सोशल मीडिया के जरिये लगातार तरह-तरह के इस पर तर्क सामने आ रहे हैं. दूसरी ओर यह भी बता दें कि, कई सरकारी दस्तावेज़ों में "BPSC TEACHER" का उल्लेख किया गया है, जिससे यह साफ है कि इसे इस संदर्भ में इस्तेमाल करना असामान्य नहीं है. आलोचना इसलिए अनावश्यक कहा जा रहा क्योंकि, विवाह एक व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण अवसर है. अगर कोई अपनी उपलब्धि पर गर्व कर रहा है, तो उसे खुशी मनाने से रोकने का कोई कारण नहीं. यह आलोचकों की सोच पर निर्भर करता है कि वे इसे "दिखावा" मानते हैं या "प्रेरणा". लेकिन सच्चाई यह है कि हर व्यक्ति को अपनी मेहनत और सफलता को साझा करने का अधिकार है. कुल मिलाकर देखा जाए तो यह जो तस्वीर निकलकर सामने आई है, वह लगातार सुर्खियों में छाई हुई है. देखना होगा कि, और किस तरह के तर्क आते हैं.