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SIR की घोषणा से पहले ममता सरकार ने कर दिया बड़ा खेला, BJP पहुंच गई चुनाव आयोग...

SIR की घोषणा से पहले ममता सरकार ने कर दिया बड़ा खेला, BJP पहुंच गई चुनाव आयोग...

Before the announcement of SIR, Mamata government played a b
SIR की घोषणा से पहले ममता सरकार ने कर दिया बड़ा खेला, BJP पहुंच गई चुनाव आयोग...- फोटो : Darsh News

पटना: बिहार में 23 वर्षों के बाद गहन मतदाता पुनरीक्षण कार्य के बाद अब चुनाव आयोग ने देश भर में कराने का फैसला लिया है। इस फैसले के आलोक में चुनाव आयोग ने 12 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश में SIR कराने की घोषणा भी कर दी है जो कि कल से ही शुरू हो जाएगा। इधर चुनाव आयोग SIR कराने की घोषणा की तैयारी में था उधर चंद समय पहले पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने बड़ा खेला कर दिया। SIR की घोषणा से ठीक पहले ममता बनर्जी की सरकार ने एक साथ 200 अधिकारियों को इधर से उधर कर दिया। इस प्रशासनिक फेरबदल को राज्य में हाल में किए गए तबादले में सबसे बड़ा है। राज्य की सरकार ने 61 IAS और 145 WBCS अधिकारियों को इधर से उधर किया है।  

10 DM समेत SDO तक बदले गए

पश्चिम बंगाल की सरकार ने 10 जिलाधिकारी, कई विशेष सचिव, ऑफिसर्स ऑन ड्यूटी (OSD), ADM और SDO स्तर के पदाधिकारियों का तबादला किया गया है। इसके अलावा हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक, कोलकाता नगर निगम के आयुक्त और हल्दिया डेवलेपमेंट ऑथोरिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का भी तबादला किया गया है।

BJP ने प्रक्रिया प्रभावित करने का लगाया आरोप

पश्चिम बंगाल सरकार के द्वारा इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों के तबादले के मुद्दे को SIR पर असर डालने के लिए की गई कार्रवाई बताया है। इसे लेकर भाजपा ने चुनाव आयोग को पत्र भी लिखा है और तबादले को रद्द करने की विनती की है। मामले में भाजपा नेता सजल घोष ने कहा कि ममता बनर्जी को डर है कि इस प्रक्रिया के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी वोटरों का नाम मतदाता सूची से हटा दिया जायेगा, इसलिए वे अंतिम समय में बड़ी संख्या में अधिकारियों का तबादला कर SIR प्रभावित करने की कोशिश की है। वहीं TMC ने इसे अक्सर चलने वाला आम प्रक्रिया बताया है।

BJP ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र

पश्चिम बंगाल में हुए इस बड़े तबादले को लेकर भाजपा ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर तबादला रद्द करने की मांग की है। भाजपा ने कहा कि SIR की घोषणा के साथ ही बड़ी संख्या में अधिकारियों को इधर से उधर सिर्फ प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए किया गया है। चुनाव आयोग की प्रक्रिया के दौरान इस तबादले के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेना अनिवार्य होना चाहिए जबकि राज्य की सरकार ने इसकी अनदेखी की है।

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