Patna : बिहार में विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी चरम पर पहुंच चुकी है। हर दल अपनी पूरी ताक़त झोंक रहा है और जनता को लुभाने की भरपूर कोशिश की जा रही है। एक ओर जहां 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को भारी जनसमर्थन देखने को मिला, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर भी यह चुनावी लड़ाई जमकर लड़ी जा रही है।
RJD नेता तेजस्वी यादव, जो लगातार ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए जनता से संवाद बनाए रखते हैं, हाल ही में वोटर अधिकार यात्रा के समापन के बाद एक ट्वीट किया जो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस ट्वीट में तेजस्वी ने बिहार की बदहाली को कविता के रूप में प्रस्तुत करते हुए सत्ता पक्ष पर करारा हमला बोला।
तेजस्वी यादव ने लिखा:
"बिहार की धरती…दुख में है डूबी,
गाँव की गलियों में अंधेरी है झूली।
सड़कें टूटीं, धंधा है मंदा,
रोज़गार का सपना है अंधा।
रेलें लेट, किसान परेशान,
युवाओं का टूटा है अरमान।
कुर्सी कुमार बैठे बस कुर्सी सँभाले,
जनता के लिए बस बातें बना लें।
पर एक आवाज़ है 'बदलाव की पुकार',
बिहार में 20 साल का हटेगा जाम,
‘बिहार बदलेगा’ यही है नई मांग।"
तेजस्वी यादव के इस ट्वीट को जहां विपक्ष समर्थकों ने हाथों-हाथ लिया, वहीं कई राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे एक प्रभावी जन-संदेश बताया। उन्होंने सत्ता पक्ष पर व्यंग्य करते हुए एक भावनात्मक अपील की कोशिश की है, जिसमें बेरोजगारी, टूटी सड़कें, किसानों की परेशानी और युवाओं के टूटे सपनों की झलक दिखाई गई है।
इस ट्वीट के बाद RJD समर्थकों में जोश दिखा, और 'बदलाव की पुकार' को एक नारा बना दिया गया है। साफ है कि तेजस्वी यादव ने अपने शब्दों के माध्यम से मौजूदा सरकार को सीधे तौर पर घेरा है और ‘कुर्सी कुमार’ कहकर नीतीश कुमार पर तंज कसा है।
लेकिन एक मुद्दे पर चुप क्यों तेजस्वी?
जहां तेजस्वी यादव ने बिहार की समस्याओं पर खुलकर बात की, वहीं एक गंभीर विवाद पर उनकी चुप्पी सवालों के घेरे में है। हाल ही में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता जी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया, जिसने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी।
इस बयान की हर तरफ निंदा हो रही है। एनडीए नेताओं ने इसे प्रधानमंत्री के सम्मान से जोड़ते हुए 4 सितंबर को बिहार बंद का ऐलान कर दिया है। जीविका दीदियों से लेकर BJP-JDU के तमाम नेताओं ने इस बयान की आलोचना की है।
लेकिन इस पूरे मामले में तेजस्वी यादव की ओर से अब तक कोई बयान, ट्वीट या पोस्ट नहीं आया है, जिससे राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। विरोधी दल इसे तेजस्वी की रणनीतिक चुप्पी बता रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक असहजता भी कह रहे हैं।
अब देखना होगा कि तेजस्वी यादव इस संवेदनशील मुद्दे पर कब और कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, या वे इसे अनदेखा कर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। लेकिन इतना तय है कि चुनावी मैदान में अब हर बयान, हर चुप्पी और हर ट्वीट मायने रखता है।
बिहार की धरती…दुख में है डूबी
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) September 2, 2025
गाँव की गलियों में अंधेरी है झूली।
सड़कें टूटीं, धंधा है मंदा
रोज़गार का सपना है अंधा।
रेलें लेट, किसान परेशान,
युवाओं का टूटा है अरमान।
कुर्सी कुमार बैठे बस कुर्सी सँभाले
जनता के लिए बस बातें बना लें।
पर एक आवाज़ है 'बदलाव की पुकार',
बिहार में… pic.twitter.com/MhSTT8DEbO
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