बिहार में शिक्षकों का मुद्दा एक बार फिर से पूरी तरह से गर्म हो गया है. ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर पिछले दिनों से लगातार किच-किच देखने के लिए मिल रही है. सोशल मीडिया के जरिये ही सही लेकिन शिक्षक सरकार के नियम का विरोध कर रहे हैं. लेकिन, अब उन्होंने सड़क पर एक बार फिर से उतरने की ठान ली है. दरअसल, बिहार शिक्षक संघ ने 28 और 29 नवंबर को अपनी ताकत सरकार को दिखाने की ठान ली है और विशाल स्तर पर धरने का आह्वान कर दिया है. यह धरना प्रदर्शन बिहार विधान मंडल के सामने होगा.
जानकारी के मुताबिक, बिहार शिक्षक संघ का कहना है कि, ट्रांसफर पॉलिसी जो सरकार ने लाई है वह शिक्षकों के हित में नहीं है. शिक्षक संघ के इस आह्नान पर जनता दल यूनाइटेड ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. जेडीयू नेता अरविंद निषाद ने रविवार को कहा कि, बिहार शिक्षक संघ का आंदोलन अनावश्यक है. जो पॉलिसी ट्रांसफर पोस्टिंग की सरकार ने बनाई वह पॉलिसी शिक्षकों के हित में है. जेडीयू ने जहां शिक्षक संघ के इस आह्नान को गलत बताया है. वहीं, बीजेपी नेता नीरज कुमार ने कहा है कि, यह उनका प्रजातांत्रिक अधिकार है, लेकिन सरकार ने उनके भलाई के लिए ट्रांसफर पॉलिसी लाई है. शिक्षक और शिक्षक संघ को सरकार का सहयोग करना चाहिए.
इस बीच यह भी बता दें कि, शिक्षा विभाग के अपन मुख्य अपर सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने सरकारी स्कूल में सेवा दे रहे शिक्षकों को लेकर फरमान जारी किया है. इस फरमान के तहत कहा गया है कि जो भी शिक्षक कार्यरत हैं वह प्राइवेट कोचिंग इंस्टिट्यूट में नहीं पढ़ा सकेंगे. इसके साथ ही ऐसे शिक्षक अलग से बच्चों को ट्यूशन नहीं दे सकेंगे. वहीं, एसीएस के इस फरमान को लेकर भी लगातार बवाल देखने के लिए मिल रहे हैं. कुल मिलाकर देखें तो ट्रांसफर-पोस्टिंग का मुद्दा हो, ऑनलाइन अटेंडेंस का मुद्दा हो या फिर कोई अन्य मुद्दा क्यों ना हो, अब शिक्षकों का आक्रोश फूट चुका है और प्रदर्शन के लिए वे तैयार हो गए हैं.