Patna : महागठबंधन में सम्मिलित होने की एआईएमआईएम (AIMIM) की अपेक्षा को राजद (RJD) दरकिनार कर चुका है, लेकिन झामुमो (JMM) से उसकी बात अभी बेपटरी नहीं हुई है। राजद झारखंड में झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार में साझेदार भी है। इसी आधार पर झामुमो झारखंड के सीमावर्ती लगभग एक दर्जन सीटें मांग रहा तो वहीं राजद उसे दो-तीन सीटों पर मनाने के प्रयास में जुटा है। बिहार में दावेदारी के संदर्भ में पिछले दिनों झामुमो द्वारा सार्वजनिक रूप से बयान दिए गए। उन बयानों में इतनी एहतियात जरूर बरती गई कि संदेश महागठबंधन के विरुद्ध न जाए।
आपको बता दें कि, झारखंड में साझेदारी के लिहाज से यह जरूरी भी था। उन बयानों के साथ ही अंदरखाने की बात भी शुरू हो गई है, जो अब किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के निकट है। राजद के लिए झामुमो को दावेदारी से कम सीटों पर मनाने का आधार पर बिहार में उसका पुराना चुनावी प्रदर्शन है।
झामुमों को अब तक मात्र एक बार झारखंड के चकाई में जीत मिली है। पिछली बार तो कटुता इस स्तर तक बढ़ी कि राजद पर राजनीतिक मक्कारी का आरोप लगाते हुए झामुमो ने 7 सीटों यानि (झाझा, चकाई, कटोरिया, धमदाहा, मनिहारी, पीरपैंती, नाथनगर) पर प्रत्याशी उतार दिए थे। लकिन, कोई सफलता तो नहीं मिली, हालांकि चकाई और कटोरिया में उसने राजद का खेल बिगाड़ दिया था।
महागठबंधन पिछली बार मात्र 15 सीट और 11 हजार 150 मतों के अंतर से सत्ता से चूक गया था। इस बार राजद का पूरा प्रयास है कि पुरानी किसी भी चूक को दोहराया न जाए।