पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ सुखबीर सिंह संधू, चुनाव आयुक्त डॉ विवेक जोशी दो दिवसीय बिहार दौरा पर हैं। इस दौरान उन्होंने मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ बैठक करने के साथ ही विभिन्न एजेंसियों और अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। दौरे के अंतिम चरण में CEC ज्ञानेश कुमार ने अपने पूरे दौरे की जानकारी प्रेस वार्ता कर दी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने भोजपुरी में कहा कि हम भारत के सब मतदाता के अभिनंदन करतानी। बिहार में गहन मतदाता पुनरीक्षण (SIR) ke सफलतापूर्वक संपन्न करावे खातिर रौआ सब के आभार करत बानी। बिहार चुनाव के लेकर बिहार के सब मतदाता के अभिवादन करतानी। उन्होंने बिहार के मतदाताओं से अपील की कि जिस तरह से पर्व त्यौहार और छठ मनाते हैं उसी तरह से चुनाव के इस महापर्व को उत्सव की तरह मनाएं। अपनी भागीदारी पक्का करें और अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए वोट अवश्य करें।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बिहार चुनाव में शुरू की जा रही पहलों के बारे में भी बताया और कहा कि बिहार में 243 विधानसभा क्षेत्र हैं। बिहार में 22 नवंबर को विधानसभा की कार्यवधि समाप्त हो रही है और उससे पहले चुनाव संपन्न करवाना है। चुनाव आयोग की टीम पिछले दो दिनों से बिहार में है। इसके पहले भी हमारे वरिष्ठ अधिकारी बिहार का दौरा कर चुके हैं।
हमने सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ बैठक की। बिहार के सभी जिला निर्वाचन अधिकारी, पुलिस अधिकारी, बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी समेत अन्य नोडल अधिकारियों के साथ बैठक की। बिहार के मुख्य सचिव एवं अन्य सचिवों के साथ बैठकें की। अब हम आखिरी चरण में आपको पूरी जानकारी दे कर दिल्ली लौट जाएंगे।
बिहार चुनाव से शुरू हो रही पहलें
बूथ लेवल एजेंट्स की ट्रेनिंग - CEC ज्ञानेश कुमार ने बताया कि पहली बार चुनाव आयोग ने बूथ लेवल एजेंट्स की ट्रेनिंग दिल्ली में करवाई। इसके साथ ही BLO की भी ट्रेनिंग कराई गई। साधारण तौर पर पुलिस अधिकारियों की ट्रेनिंग जिलों में कराई जाती थी लेकिन पहली बार मानक तौर पर दिल्ली में ट्रेनिंग शुरू की गई।
मतदाता - मतदाता सूची में सबसे बड़ी पहल SIR रही जो बिहार में 24 जून से शुरू हो कर कालावधि से पहले संपन्न हो गया। इस दौरान सभी मतदाता ने सहयोग किया। BLO, निर्वाचक पंजीयक अधिकारियों के मानसिक प्रोत्साहन के लिए उन्हें पैसे भी दिए गए। खास तौर पर ERO और AERO को पहली बार मानदेय देने की व्यवस्था की गई।
वोटर कार्ड - उन्होंने कहा कि पहले वोटर कार्ड मिलने में देरी होती थी, इसलिए चुनाव आयोग ने वोटर कार्ड के वितरण की समीक्षा करते हुए 15 दिनों के मतदाता को उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की गई है। BLO को भी फोटो आईडी कार्ड दिए गए हैं।
चुनाव का संचालन - विकास की गति के साथ अक्सर मतदाता मोबाइल की जरूरत महसूस करते थे तो अब देश भर के सभी पोलिंग बूथ पर मोबाइल रखने की व्यवस्था किया गया है।
वोटर इंफोर्मेशन स्लिप - मतदाताओं को वोटर इंफोर्मेशन स्लिप में बूथ नंबर बड़े अक्षरों में लिखा गया है।
टेक्नॉलॉजी - चुनाव आयोग कई वर्ष से टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहा था। इसके तहत अलग अलग 40 एप्लीकेशन बन गए थे। अब सब को मिला कर एक एप्लीकेशन तैयार किया गया जिसे बिहार में लागू किया जाएगा।
मतदान केंद्र पर मतदाता की संख्या - चुनाव आयोग ने पहले मतदान केंद्र पर मतदाताओं की भीड़ को देखते हुए निर्णय लिया है कि अब किसी भी मतदान केंद्र पर अधिकतम 1200 मतदाता ही वोट डालेंगे।
प्रत्याशी का बूथ - पहले प्रत्याशी मतदाताओं की मदद के लिए अपने बूथ लगाते थे जो कि मतदान केंद्र से दूर होता था। अब यह बूथ मतदान केंद्र से 100 मीटर दूर लगाया जा सकेगा।
मतदान केंद्र का वेब कास्टिंग - पहले सभी मतदान केंद्र का वेब कास्टिंग नहीं किया जाता था लेकिन अब बिहार चुनाव से देश भर में शत प्रतिशत मतदान केंद्रों का वेब कास्टिंग कराया जाएगा ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
EVM में प्रत्याशी की पहचान - CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा कि पहले कई बार प्रत्याशियों ने शिकायत की थी कि प्रत्याशी का फोटो ब्लैक एंड वाइट होने की वजह से पहचान में दिक्कत होती है, चुनाव चिह्न और सीरियल नंबर होने के बाद भी कई बार पहचान में दिक्कत होती थी इसलिए बिहार चुनाव से EVM पर सीरियल नंबर का फोंट बड़ा होगा साथ ही प्रत्याशियों की कलर फोटो लगाई जाएगी।
मतगणना - वोटो की गिनती के दौरान 17C में कोई अंतर होने पर सभी वीवीपीएटी की पूर्ण गिनती की जाएगी और EVM वोटो की गिनती से पहले बैलेट के वोटों की गिनती पूरी करनी होगी। मतगणना के बाद सारी जानकारी इकट्ठा कर वेबसाइट पर डालने में काफी समय लग जाता था लेकिन अब यह चुनाव खत्म होने के कुछ समय बाद ही वेबसाइट पर डाल दिए जाएंगे।
CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा कि चुनाव संविधान और लोक प्रतिनिधित्व कानून के तहत होते हैं। बिहार के सभी विधानसभा स्तर पर एक ERO हैं जो BLO के साथ मिल कर मतदाता सूची बनाते हैं। अगर गलती से किसी का नाम छूट जाता है तो वह वरीय अधिकारियों से अपील कर सकते हैं।