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बिहार सरकार ने उठाया बड़ा कदम! वेटलैंड्स की सेहत की होगी निगरानी

बिहार की 233 आर्द्रभूमियों का ‘हेल्थ कार्ड’ तैयार, अब वेटलैंड्स की सेहत पर होगी निगरानी। प्रवासी पक्षियों को मिलेगा ठिकाना! ‘वेटलैंड मित्र’ बनाएंगे बिहार की आर्द्रभूमियों को सुरक्षित। बिहार सरकार ने उठाया बड़ा कदम! 4526 वेटलैंड्स में से 4316 का...

बिहार सरकार ने उठाया बड़ा कदम! वेटलैंड्स की सेहत की होगी निग
बिहार सरकार ने उठाया बड़ा कदम! वेटलैंड्स की सेहत की होगी निगरानी- फोटो : Darsh News

बिहार की 233 आर्द्रभूमियों का ‘हेल्थ कार्ड’ तैयार, अब वेटलैंड्स की सेहत पर होगी निगरानी। 233 आर्द्रभूमियों का हेल्थ कार्ड किया तैयार, अब वेटलैंड्स की सेहत, प्रवासी पक्षियों और जल की गुणवत्ता पर रहेगी नजर

पटना: जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिए बिहार सरकार ने एक अनोखी पहल की है। राज्य की 233 आर्द्रभूमियों का हेल्थ कार्ड तैयार किया गया है। इसमें पानी की गुणवत्ता, ऑक्सीजन स्तर, प्रवासी पक्षियों की संख्या और जलीय जीवों की स्थिति जैसी अहम जानकारियां दर्ज की गई हैं। इस हेल्थ कार्ड से साफ हो जाएगा कि कौन-सी आर्द्रभूमि कितनी स्वस्थ है और किसे संरक्षण की जरूरत है। इसका सबसे ऊंचा स्कोर है ‘ए प्लस’, जिसका मतलब है कि वेटलैंड पूरी तरह स्वस्थ है। लेकिन यदि स्कोर इससे नीचे है, तो समझना होगा कि उस आर्द्रभूमि को बेहतर प्रबंधन की जरूरत है।

4526 आर्द्रभूमियां, 4316 का हो चुका सत्यापन

वर्तमान में राज्य में 2.25 हेक्टेयर से बड़ी कुल 4526 आर्द्रभूमियां हैं। इनमें से 4316 का भू-सत्यापन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने पूरा कर लिया है। इन आर्द्रभूमियों की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि ये जल शुद्धिकरण, मिट्टी को नमी प्रदान करने, बाढ़ नियंत्रण और जलवायु संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

‘वेटलैंड मित्र’ रखेंगे खास ख्याल

इन वेटलैंड्स की देखरेख और प्रबंधन के लिए सरकार ने ‘वेटलैंड मित्र’ योजना शुरू की है। इसके तहत आर्द्रभूमियों के आसपास रहने वाले लोग ही इनकी पहचान, सफाई और रखरखाव करेंगे। साथ ही, प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार पर रोक लगाने और पर्यावरणीय पर्यटन को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी भी इन्हीं मित्रों पर होगी।

क्यों खास हैं वेटलैंड्स?

आर्द्रभूमि यानी ऐसे इलाके जहां पानी लंबे समय तक ठहरा रहता है। यह न केवल पक्षियों और जलीय जीवों का घर है बल्कि जलवायु संकट से बचाने में भी बेहद मददगार है। ये बाढ़ के पानी को रोककर बड़े पैमाने पर नुकसान से बचाती हैं और भूजल को रीचार्ज करती हैं। बिहार सरकार की यह पहल आने वाले समय में वेटलैंड संरक्षण के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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