Patna : बिहार सरकार कि ओर से मत्स्य क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तमाम योजनाओं की शुरूआत, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग अंतर्गत मत्स्य निदेशालय द्वारा की जा रही है। राज्य के मत्स्य कृषकों के लिए देशी मछली पालन का सुनहरा अवसर के तहत मत्स्य प्रजाति का विविधिकरण की योजना शुरू की गई हैं। इस योजना का मुख्य उद्येश्य राज्य के जलसंपदाओं में मौजूद देशी प्रजाति के संभाव्य (Potential) “माइनर कार्प” एवं “कैट फिश” की विकसित हैचरी तकनीकी से बीज उत्पादन कर समुचित दर पर मत्स्य कृषकों को उपलब्ध कराना है। साथ ही इसके पालन (Culture) को बढ़ावा देना है।
इस योजना का उदेश्य माइनर कार्प एवं वायु-श्वासी मछली को बढ़ावा देना, संरक्षण एवं संवर्द्धन के साथ-साथ मत्स्य उत्पादकता है और किसानों के वार्षिक आय में वृद्धि एवं सुदूर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना है। इस योजनानतर्गत सभी वर्गो के लाभूकों और सभी अव्यवों के लिए निर्धारित इकाई लागत का 60 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। वहीं शेष राशि लाभार्थी के द्वारा स्वयं अथवा बैंक ऋण से वहन किया जाएगा। मत्स्य प्रजाति का विविधिकरण की योजना के तहत जिन चार श्रेणियों में अनुदान दिया जाता है। उसमें पहली श्रेणी माइनर कार्पा हैचरी का अधिष्ठापन पर इकाई लागत इनपुट सहित रूपये 13.12 लाख प्रति इकाई है। वहीं दूसरी श्रेणी कैटफिश का अधिष्ठापन पर ईकाई लागत इनपुट सहित रूपये 15.37 लाख प्रति ईकाई, तीसरी श्रेणी माइनर कार्प “पालन मात्स्यिकी” की योजना है। इसमें ईकाई लागत इनपुट सहित रूपये 0.94 हजार प्रति इकाई है और चौथी श्रेणी में कैट फिश एवं अन्य मछलियों की “पालन मात्स्यिकी” की योजना है। जिसमें इकाई लागत रूपये 1.35 लाख प्रति इकाई है। यह योजना राज्य के सभी जिलों में क्रियान्वित है।
इस योजना हेतु आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन प्राप्त की जा रही है। वहीं आवेदक द्वारा हैचरी अथवा “पालन मात्स्यिकी” में से किसी एक अवयव का ही आवंटन सब्सिडी हेतु अनुमान्यता होगी। साथ ही, एक व्यक्ति प्रति परिवार को अधिकतम 01 एकड़ तथा न्यूनतम 0.25 एकड़ जलक्षेत्र की आवश्यकता होगी। सभी इच्छुक लाभार्थी 31 अगस्त तक Fisheries.bihar.gov.in पर आवेदन कर सकते है। इस संबंध में अधिक जानकारी बेबसाइट State.bihar.gov.in/ahd/CitizenHome.Html उस पर अथवा जिला मत्स्य कार्यालय में संपर्क कर प्राप्त की जा सकती है।