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यहां अभी भी नाव ही है सहारा, यह तस्वीर देख याद आएगी फिल्म 'नदिया के पार'

यहां अभी भी नाव ही है सहारा, यह तस्वीर देख याद आएगी फिल्म 'नदिया के पार'

Boat is still the only support here
यहां अभी भी नाव ही है सहारा, यह तस्वीर देख याद आएगी फिल्म 'नदिया के पार'- फोटो : Darsh News

मुजफ्फरपुर: अगर अपने फिल्म नदिया के पार देखी है तो आपको एक सीन जरुर याद होगा कि शादी के बाद गूंजा नाव में सवार हो कर अपने पति के साथ ससुराल पहुंचती है जहां लोगों ने उसका जोरदार स्वागत किया। ठीक ऐसा ही कुछ देखने को मिला 21वीं सदी के बिहार के मुजफ्फरपुर में जहां शादी के बाद एक दुल्हन अपने पति के साथ नाव से ससुराल जाती है। यह मामला है मुजफ्फरपुर के औराई प्रखंड के मधुबन प्रताप गांव का जहां एक व्यक्ति अपनी पत्नी को शादी के बाद नाव से लेकर अपने घर आया। अब यह मामला पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया है। लोगों ने बताया कि बीते 12 सितंबर को रामप्रवेश सहनी की शादी के लिए बारात सजी। बारात तो जोरदार तरीके से सजी लेकिन न तो लोगों को गाड़ी में बैठाया गया और न ही दूल्हे को घोड़ी पर बल्कि बारात गई नाव पर। बारात पहुंचने के बाद दूल्हा दुल्हन की शादी हुई और फिर वापसी उसी नाव से। गांव वालों का कहना है कि शादी का यह नज़ारा देखने लायक था नाव पर बैंड-बाजा, रिश्तेदारों की भीड़ और बीच में दूल्हा। 

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विदाई के वक्त दुल्हन की आंखों के आंसू और नदी की लहरों संग डोलती नाव ने सीन को और भी फिल्मी बना दिया। यह कहानी सुनने में या पढने में भले फ़िल्मी लग रही हो लेकिन यह रूबरू करवाती है क्षेत्र के लोगों की परेशानी से। स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां कई नेताओं ने पुल बनाने का वादा तो किया लेकिन वोट लेने के बाद भूल जाते रहे। नतीजा यह है कि बरसात के दिनों में लोगों की शादी हो या बीमार को अस्पताल पहुंचाना हो या फिर बच्चे स्कुल जाएं सबका एक ही सहारा है नदी में नाव। खुले असमान के नीचे पानी की लहरों पर नाव हिलकोरे मारती हुई पार तो करवा देती है लेकिन तब जान सांसत में फंसी रहती है कि कहीं कुछ अनहोनी न हो जाये। लोगों ने कहा कि बरसात के दिनों में जहां एकमात्र नाव ही सहारा बनता है तो आम दिनों में स्थानीय लोगों के सहयोग से बना चचरी पुल जिस पर सिर्फ पैदल ही पार किया जा सकता है।

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