Bodhgaya- भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया में पर्यटन सीजन शुरू हो चुका है लेकिन इस बार तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की अपेक्षित संख्या नहीं आ पा रही है, इसकी एक वजह बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का इस साल बोधगया नहीं आना भी माना जा रहा है. दलाई लामा के बोधगया आने पर देसी और विदेशी बौद्ध श्रद्धालु हजारों की संख्या में उनका दर्शन करने और प्रवचन सुनने आते हैं.
पिछले कई साल से लगातार दलाई लामा कर रहे थे बोधगया प्रवास
इस बार के पर्यटन सीजन को लेकर बोधगया होटल एसोसिएशन और टूरिस्ट गाइड के अध्यक्ष की माने, तो इस बार बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा के नहीं आने से ब पर्यटन कारोबार को बड़ी क्षति हुई है. बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा पिछले 10 सालों से अधिक समय से लगातार बोधगया आ रहे थे. बोधगया का पर्यटन व्यवसाय चक्र चकाचौंध था. किंतु इस बार दिसंबर से शुरू होने वाला 3 महीने का 2024- 25 का पर्यटन सीजन फीका-फीका है. इसका कारण है, कि बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा इस बार बोधगया प्रवास पर नहीं है. उनके बोधगया प्रवास पर होने और टीचिंग कार्यक्रम होने से देश के अलावा काफी संख्या में विदेश से बौद्ध श्रद्धालु बोधगया को आते थे. किंतु इस बार बोधगया उदास- उदास सब दिख रहा है.
इस बार दुकानदारों के चेहरे पर मायूसी और उदासी के भाव देखे जा सकते हैं. इसका साफ कारण है, कि बोधगया का पर्यटन सीजन इस बार बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के नहीं आने से पूरी तरह से आर्थिक तौर पर चौपट हो गया है. यहां पिछले साल की चर्चा करें तो तो देश और विदेश के बौद्ध श्रद्धालुओं से बोधगया पटा हुआ था. किंतु इस बार स्थिति बिलकुल उल्ट है. इस बार विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या के बजाए छिटपुट ही आ रहे हैं. वहीं, देश से भी पर्यटकों का आना काफी कम हो गया है. इससे बोधगया के पर्यटन कारोबार को बड़ा झटका लगा है.
इस संबंध में बोधगया टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन एवं व्यवसाय बिहार के अध्यक्ष राकेश कुमार बताया कि बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के नहीं आने से पर्यटन सीजन के कारोबार की बङी क्षति हुई है. उनका आगमन नहीं होने से इस बार लाखों पर्यटक जो आते थे, उनका आना काफी कम हो गया है. इससे हर तरह के व्यवसाय प्रभावित हुए हैं. बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के नहीं आने से ठेला व्यवसाय, फुटपाथ व्यवसाय, ई रिक्शा व्यवसाय, ट्रैवल एजेंट व्यवसाय, होटल व्यवसाय, तिब्बती रेस्टोरेंट व्यवसाय, रिफ्यूजी मार्केट व्यवसाय, गेस्ट हाउस व्यवसाय और होम स्टे व्यवसाय सब कुछ प्रभावित हो गया है. इस बार फायदा क्या हर कोई घाटे में चला गया है. इसके कारण बोधगया के हर व्यवसाय से जुड़े लोग उदास- उदास हैं.
200 करोड़ से अधिक का पर्यटन कारोबार प्रभावित
राकेश कुमार बताते हैं, कि बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा के नहीं आने से पर्यटन सीजन पूरी तरह से टूट गया है. 200 करोड़ से अधिक का पर्यटन कारोबार प्रभावित हुआ है. अनुमान है, कि करीब 200 करोड़ का जो कारोबार हर साल चलता था, वह इस बार नहीं होगा. बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के आने से बोधगया गुलजार हो जाता था और पर्यटन कारोबार बड़े पैमाने पर चलता था, लेकिन इस बार सब कुछ फीका फीका हो गया है. यहां तक कि लोग पर्यटन सीजन के बाद अपने बेटा- बेटी की शादी करते थे, लेकिन इस बार उन पर आर्थिक तंगी की मार पड़ेगी. काफी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो अपने घरों में होम स्टे की सुविधा देश-विदेश के यात्रियों को देते हैं. ऐसे घरों की संख्या काफी तादाद में है. वे लोग सीधे प्रभावित हो रहे हैं. मध्यम वर्ग के लोग सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. इस बार कारोबार की क्या कहें, नुकसान में हम लोग हैं. छिटपुट यात्री देश और विदेश से आ रहे हैं.
5000 से 50000 तक खर्च करते हैं पर्यटक
टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन एवं व्यवसाय बिहार के अध्यक्ष राकेश कुमार बताते हैं, कि एक टूरिस्ट आते हैं, तो कम से कम ₹5000 से लेकर 50000 तक खर्च करते हैं. न्यूनतम खर्च 5000 तक जरूर होता है. ऐसे में बिहार के बोधगया का पर्यटन कारोबार गुलजार हो जाता है. हर किसी के चेहरे पर खुशी होती है, जो भी किसी व्यापार से जुड़े होते हैं, उनके लिए पर्यटन सीजन वरदान से कम नहीं होता है. किंतु इस बार हर किसी के चेहरे पर उदासी और चिंता है. बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के आगमन के बाद बोधगया के पर्यटन कारोबार से वे लोग भी जुड़ जाते थे, जिन्हें जिन्हें दूर-दूर तक सरोकार नहीं होता था. इस बार एक लंबे अरसे के बाद बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा नहीं आ रहे हैं, जिससे बोधगया का पर्यटन व्यवसाय काफी मंदा पड़ गया है. वही, सबसे बड़ी बात यह है, कि बौद्ध धर्म गुरू का आगमन नहीं होने से विदेश के बौद्ध श्रद्धालु का आगमन एकदम कम हो रहा है.
वही होटल एसोसिएशन बोधगया के अध्यक्ष जय सिंह बताते हैं कि सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया है, कि एक दिन भी टूरिस्ट यहां रूक सके. इस बार बौद्ध धर्म गुुरू के नहीं आने से 100 करोड़ का पर्यटन कारोबार प्रभावित होगा. वहीं, दूसरी बात यह है, कि जो भी सालों भर विदेशी पर्यटक आते हैं, वह संबंधित मोनेस्ट्री में रुक जाते हैं. ऐसे मॉनेस्ट्री की संख्या 100 है. ऐसे में यहां का होटल कारोबार पूरी तरह से बिखरता जा रहा है. मॉनेस्ट्री धर्म का पालन करें, व्यवसाय न करें. सरकार से अपील करते हैं, कि सरकार अगर इस पर रोक नहीं लगाई तो व्यापारी की स्थिति बदतर हो जाएगी. यहां न तो ड्रेनेज सिस्टम है और न ही सीवरेज सिस्टम. पर्यटकों के आवागमन की भी सुविधा नहीं है. पर्यटक ढुंगेश्वरी जाना चाहते हैं, जहानाबाद जाना चाहते हैं, लेकिन पर्यटन का आवागमन का ऐसा कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे वे वहां से घूम कर एक दिन में लौट सके. ऐसे में वे आते हैं और तुरंंत लौट जाते हैं. महाबोधि मंदिर में भगवान बुद्ध व कुछ अन्य दर्शनीय स्थान के दर्शन कर वापस लौट जाते हैं. इस तरह सालों भर पर्यटक जो आते हैं, वे यहां एक दिन भी नहीं रूकते. इस बार जब बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा लंबे अरसे के बाद बोधगया प्रवास पर नहीं आ रहे, उनका टीचिंग कार्यक्रम नहीं है, तो ऐसे में यह बड़ा झटका है और तकरीबन 200 करोड़ से अधिक का कारोबार जो होता था, इस बार वह नहीं होगा. बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के नहीं आने से यह बड़ा कारोबार होता था.
मनीष की रिपोर्ट