Patna :- लालू राबड़ी सरकार के दौरान सत्ता की हनक दिखाने माने वाले दो भाई साधु और सुभाष यादव अब आमने-सामने आ गए हैं, सुबह सुभाष यादव द्वारा लगाए गए आरोप का साधु यादव ने खंडन किया है.
बताते चलें कि लालू परिवार के बीच ये बयान बाजी तेज प्रताप यादव के बयान के बाद शुरू हुई है. मीडिया कर्मियों से बात करते हुए तेज प्रताप ने कहा था कि उनके दोनों मामा साधू और सुभाष यादव की मानसिक स्थिति इन दिनों ठीक नहीं है, जिससे नाराज सुभाष यादव ने गंभीर आरोप लगाए थे.लालू प्रसाद के साले और पूर्व राज्यसभा सांसद सुभाष यादव ने कहा था कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार के दौरान पार्टी अध्यक्ष का फिरौती के लिए अपहरण करने वाले गिरोहों से संबंध था. सीएम हाउस में किडनैपिंग की डील होती थी. वे ही लोगों का अपहरण करवाते थे और उनकी रिहाई का आदेश देते थे.
सुभाष यादव ने यह भी आरोप लगाया कि, वास्तव में मैं ही था, जिसने अपने जीजा लालू यादव को इस तरह से काम करने से रोकने की कोशिश की थी, लेकिन उन दिनों वे सत्ता के नशे में चूर थे और किसी की नहीं सुनते थे. आरजेडी कई बार टूट चुका होती, अगर दलबदल विरोधी कानून नहीं होता जिसे दिवंगत प्रधानमंत्री अटल ने और सख्त बना दिया था. सुभाष यादव ने अपने भांजे तेजस्वी यादव को बरसाती मेंढक करार देते हुए इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में राजग की भारी जीत की भविष्यवाणी की. उन्होंने कहा कि वह खुद चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं लेकिन वह अपने बेटे को चिराग पासवान की पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ाना चाहते हैं.
इस आरोप के बाद अब सुभाष यादव के भाई साधु यादव सामने आ गए हैं. अपने छोटे भाई के आरोप का खंडन करते हुए साधु यादव ने कहा कि ये आरोप निराधार और बेबुनियाद है. उन्होंने आगे कहा, कि सुभाष यादव पूछना चाहिए कि तुम वहां क्या करते थे? 20 वर्ष नीतीश कुमार के शासन को हो गए और 15 वर्ष आरजेडी का शासन था तो 35 वर्षों के बाद उनकी आंख खुली? ऐसा लगता है कि वह किसी राजनीतिक पार्टी से कुछ पाने या कोई पद हासिल करने के लिए ऐसी बातें कह रहे हैं.
साधु यादव ने कहा, मैंने लालू यादव को पहले ही कहा था कि सुभाष को तवज्जो मत दीजिए. लोग अक्सर मुझे उसके जैसा ही समझ लेते थे. साधु-सुभाष एक पर्यायवाची शब्द बन गए थे. वह सभी हरकतों में लिप्त रहता था और मुझे बिना किसी कारण साझीदार समझा जाता था.
वही सुभाष यादव के आरोप पर साधु यादव के साथ ही आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति यादव ने विरोध जताया है. शक्ति यादव ने कहा कि सुभाष यादवजैसे नेता की आलोचना पर विश्वास नहीं करेगा, जिसने हमारे पार्टी अध्यक्ष को बदनाम किया और जो अब सत्तारूढ़ दल के इशारे पर ऐसी बातें कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हमारे सुप्रीमो के बयान ने सत्तारूढ़ गठबंधन को परेशान कर दिया है इसलिए निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन हमारे नेता खुद में एक संस्था हैं. उनके कई विरोधियों और सहयोगियों ने उनसे बहुत कुछ सीखा है. उनकी शख्सियत इतनी महान है कि इस तरह के निराधार आरोप से उसे कम नहीं किया जा सकता.