Patna : बिहार में सामाजिक न्याय और सम्मान की राजनीति को नई दिशा देने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि, उनके लिए सरकार चलाना केवल विकास के आंकड़े नहीं, बल्कि हर वंचित तबके की जिंदगी में बदलाव लाना है। "अल्पसंख्यक मुस्लिम परित्यक्ता/तलाकशुदा महिला सहायता योजना" इसी सोच का प्रतिफल है — एक ऐसी योजना, जिसने उन मुस्लिम महिलाओं को सहारा दिया जिन्हें समाज और हालात दोनों ने अकेला छोड़ दिया था।
एक नई शुरुआत की राह
साल 2017-18 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य तलाकशुदा और परित्यक्ता मुस्लिम महिलाओं को एकमुश्त आर्थिक सहायता देकर उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने की प्रेरणा देना है। नीतीश कुमार की ओर से प्रति तलाकशुदा महिला को ₹25,000 की एक मुश्त आर्थिक सहायता राशि दी जाती है। यह राशि सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक सम्मान की भी पुनर्स्थापना है।
अब तक 16000 मुस्लिम महिलाओं को मिली सहायता
अब तक 15,990 मुस्लिम महिलाओं को यह सहायता दी जा चुकी है। राज्य सरकार की ओर से अब तक इस पर ₹2,123.40 करोड़ से अधिक की राशि सीधे महिलाओं को दी जा चुकी है। यह आंकड़ा महज सरकारी खर्च नहीं, बल्कि हजारों टूटे सपनों को फिर से जोड़ने की मिसाल है। इस योजना के माध्यम से मुस्लिम समाज की परित्यक्ता महिलाएं अब उपेक्षा की शिकार नहीं रहेंगी, बल्कि बिहार सरकार की प्राथमिकता होंगी।
एक योजना, जो बनी जीवन का आधार
नीतीश सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम मुस्लिम महिलाओं के आत्मसम्मान बढ़ाता है। उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का आत्मबल भी देता है। सबका साथ, सबका विकास सिर्फ नारे में नहीं, बल्कि सीएम नीतीश कुमार की नीतियों में भी झलकता है। यह सहायता उन्हें शिक्षा, छोटे व्यवसाय या घर चलाने जैसे जरूरी कार्यों की भी स्वतंत्रता देती है।
बिहार बना मिसाल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ये योजना देश के अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल है। सरकारें संवेदनशील होकर समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी सशक्त बना सकती हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह पहल केवल योजनाओं की सूची में एक और नाम नहीं, बल्कि उन हजारों मुस्लिम महिलाओं के जीवन की कहानी है जो फिर से मुस्कुरा पा रही हैं।